कश्‍मीर: सर्वाध‍िक ह‍िंसा वाले शोप‍ियां, पुलवामा के स्‍टूडेंट्स ने 10वीं परीक्षा में बाकी जिलों को पछाड़ा
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कश्‍मीर: सर्वाध‍िक ह‍िंसा वाले शोप‍ियां, पुलवामा के स्‍टूडेंट्स ने 10वीं परीक्षा में बाकी जिलों को पछाड़ा

हिंसा और आतंकवाद के बीच कश्मीर के छात्रों ने 10वीं की बोर्ड परीक्षा में अपनी सफलता दर्ज की है.

कश्‍मीर: सर्वाध‍िक ह‍िंसा वाले शोप‍ियां, पुलवामा के स्‍टूडेंट्स ने 10वीं परीक्षा में बाकी जिलों को पछाड़ा

श्रीनगर : घाटी में सबसे ज्‍यादा हिंसक रहे दक्षिण कश्मीर के कई छात्रों ने मेरिट लिस्ट में अपनी जगह बनाई है. इस क्षेत्र का पास पर्सन्टेज कश्मीर के शांतिपूर्ण क्षेत्रों की तुलना में बहुत अधिक है. कश्मीर के शोपियां, पुलवामा हिंसा और आतंकवाद की वजह से सबसे हिंसक माने जाते हैं. मगर इन्हीं जि‍लों से युवाओं ने अपनी सफल कहानियां लिखी हैं. इन दोनो ज़िलों में 10वीं  के परिणामों में सब से ज्‍यादा पास पर्सेंटेज देखी गई है.   

शोपियां का सोफी परिवार 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं में अपनी बेटी की सफलता का जश्न मना रहा है. इफरा शेराज़ ने जम्मू और कश्मीर राज्य बोर्ड परीक्षा में 99 प्रतिशत के करीब नंबर हासिल किए हैं. इलाके में लगतार हो रही हिंसा और मुठभेड़ों के कारण लड़की डिप्रेशन का शिकार भी हुई. यह लड़की दिल की मरीज़ भी है. इरफा ने पहली पोजीशन हासिल तो नहीं की मगर पहले पांच स्‍थान में अपना नाम दर्ज करवाया. इसका सपना था की वो 500 में से 500 नंबर हासिल करे.  

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इरफा शीराज़ कहती है, "मैं दक्षिणी कश्मीर रहती हूं. यहां हालात बहुत ख़राब रहते हैं. यहां रोज़ मुठभेड़ होती हैं. जब मेरी परीक्षा थी, तब भी मुठभेड़ हुई थी. मेरे घर के पास गोलियों की आवाज़ से मैं बहुत डि‍प्रेशन में रही. सितम्बर अक्टूबर में पढ़ाई नहीं कर पाई. मैं डिप्रेशन और दिल की दवाई खाती थी."   

दक्षिणी कश्मीर के इन ज़िलों में इस वर्ष स्कूल मुठभेड़ों और हड़तालों के कारण आधे से ज्‍यादा साल बांध रहे. लेकिन इफरा की तरह, दक्षिण कश्मीर के कई अन्य छात्रों ने मेरिट लिस्ट में जगह बनाई है. इन ज़िलों की पास प्रेसन्टेज कश्मीर के बाकी इलाकों से ज्‍यादा रहा. इफरा के पिता शेराज अहमद का कहना है, हमारे ज़िले शोपियाँ में बेटी ट्यूशन जाती थी और पुलवामा में स्‍कूलिंग के लिए जाती थी. उसको वक्‍त नहीं मिला."

2018 घाटी के सब ज्‍यादा हिंसक सालों में दर्ज हुआ है. इस दौरान करीब 587 आतंकी घटनाएं हुईं. 276 आतंकी मारे गए. 55 आम लोगों की मौत भी हुई. करीब 96 सुरक्षाबल शहीद हुए. इसी वर्ष पत्रकार शुजात बुखारी को जून के महीने में उनके दफ्तर के बाहर आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. पिता की हत्या के बावजूद भी उनके बेटे तमीज बुखारी ने परीक्षा में 95 फीसदी अंक हासिल किए हैं. पूर्व मुख्‍यमंत्री  उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने तमीज बुखारी और दूसरे छात्र छात्राओं को ट्वीट कर बधाई दी.

कुलगाम में, एक परिवार का 14 साल युवा पिछले महीने प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षाबलों द्वारा गोलीबारी में मारे गए था. आज अपने बेटे नौमान अशरफ़ की मार्कशीट मिलने पर परिवार में शोक फिर पैदा हुआ है. घाटी में परिणामों को देखा लगता है कश्मीर के युवा हिंसा और आतंकवाद के बीच भी अपने मुस्तकबिल को सवरने में जुटे है जिसे उम्मीद की किरण जगी है. 

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