दक्षिण कश्मीर में रिकॉर्ड तोड़ मतदान, दस साल बाद हो रहे चुनाव में कितनी बदल जाएगी तस्वीर?
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दक्षिण कश्मीर में रिकॉर्ड तोड़ मतदान, दस साल बाद हो रहे चुनाव में कितनी बदल जाएगी तस्वीर?

Election in JnK: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले चरण का विधानसभा चुनाव शांतिपूर्ण संपन्न हुआ है. इसमें करीब 59 प्रतिशत मतदान हुआ जो पिछले सात चुनावों में सर्वाधिक मतदान है.

दक्षिण कश्मीर में रिकॉर्ड तोड़ मतदान, दस साल बाद हो रहे चुनाव में कितनी बदल जाएगी तस्वीर?

Jammu Kashmir Election: कश्मीर में पहले चरण के चुनाव में भारी मतदान हुआ. दक्षिण कश्मीर के लगभग हर मतदान केंद्र पर सुबह से ही मतदाताओं की कतारें देखी गईं. पिछले चार दशकों से कश्मीर में बहिष्कार की राजनीति चल रही थी, लेकिन इस बार कश्मीर के लोगों का चुनावी प्रक्रिया पर भरोसा दिखाई दे रहा है, खासकर युवा और पहली बार मतदान करने वाले लोगों का. दक्षिण कश्मीर में मतदान केंद्रों के बाहर युवा मतदाताओं की लंबी कतारें देखी गईं. 

असल में जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले चरण का विधानसभा चुनाव शांतिपूर्ण संपन्न हुआ है. इसमें करीब 59 प्रतिशत मतदान हुआ जो पिछले सात चुनावों में सर्वाधिक मतदान है. पहली बार मतदान करने वाले जाहिद रशीद कहते हैं, "हमारे यहां सैकड़ों शिक्षित युवा हैं, जिनके पास करने को कुछ नहीं है और वे नौकरी चाहते हैं और यह समय ऐसा प्रतिनिधि चुनने का है जो हमारी बेहतरी के लिए काम करे."

केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव 10 साल के अंतराल के बाद हो रहे हैं और आज पहले चरण में 24 निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान हो रहा है, जिनमें से 16 कश्मीर में हैं. कुलगाम और शोपियां जैसे इलाकों में आज करीब 50% मतदान हुआ. इन इलाकों में चुनावों के दौरान पूरी तरह से बहिष्कार और आतंकी धमकियां देखने को मिली हैं. लेकिन इस बार तस्वीर बिल्कुल अलग है.

जमात-ए-इस्लामी के गढ़ कुलगाम और शोपियां में लंबी कतारें देखी गईं. लोग बदलाव, विकास और रोजगार जैसे मुद्दों पर बात करते दिखे. पहली बार वोट देने वाले ज़्यादातर लोगों ने कहा कि बहिष्कार से पहले कुछ हासिल नहीं हुआ और अब समय आ गया है कि वोट की ताकत का इस्तेमाल शांति, विकास और निर्भय जीवन सुनिश्चित करने के लिए किया जाए. बुगाम गांव पिछले कई सालों से वोट न देने के लिए जाना जाता था, लेकिन आज यहां भी लोकतंत्र मजबूत होता दिख रहा है.

अनवर पैरी ने कहा, "बहिष्कार की राजनीति से हमें जो मिला, वह यह कि बहिष्कार के बावजूद चुनाव हुए और लोग चुने गए, इसलिए बेहतर है कि हम वोट करेp और बेहतर व्यक्ति को चुनें जो हमारे सपनों को हकीकत में बदल सके."

दक्षिण कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी और इंजीनियर राशिद के एआईपी समर्थित उम्मीदवारों के मैदान में उतरने से मुकाबला काफी दिलचस्प होने वाला है. हालांकि, गठबंधन में शामिल नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और दक्षिण कश्मीर में कभी मजबूत पकड़ रखने वाली पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी जैसी पुरानी स्थापित पार्टियों का मानना ​​है कि वे विजयी होंगी. मुफ्तियों की तीसरी पीढ़ी इल्तिजा मुफ्ती जो इस बार चुनाव मैदान में हैं और अपनी पारंपरिक सीट बिजभरा से चुनाव लड़ रही हैं, उन्हें पूरा भरोसा है कि वे अपने परिवार की विरासत को आगे ले जाएंगी. 

इल्तिजा ने कहा, "मुझे लोगों से मिले प्यार और जुड़ाव से खुशी है, मुफ्ती साहब के सहयोगियों ने मेरी काफी मदद की, मैंने युवाओं में भी बदलाव देखा और मुझे यकीन है कि वे मुझे वोट देंगे. महबूबा मुफ्ती का भी मानना ​​है कि पीडीपी दक्षिण कश्मीर से सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी.

मुफ्ती ने कहा, "दक्षिण कश्मीर में आज जिन जिलों में मतदान हुआ, वहां से मुझे जो फीडबैक मिला है, उससे संकेत मिलता है कि पीडीपी दक्षिण कश्मीर में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी." आज किस्मत आजमाने वाले प्रमुख उम्मीदवारों में सीपीआई(एम) के मोहम्मद यूसुफ तारिगामी भी शामिल हैं, जो कुलगाम निर्वाचन क्षेत्र से लगातार पांचवीं बार चुनाव लड़ रहे हैं. एआईसीसी महासचिव गुलाम अहमद मीर तीसरी बार डूरू से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस की सकीना इटू दूसरी बार दमहाल हाजीपोरा से और वहीद पारा पुलवामा से चुनाव लड़ रहे हैं.

कुलगाम से चार बार विधायक रह चुके तारिगामी ने चुनाव लड़ने के लिए जमात की आलोचना करते हुए कहा कि लोगों को पता है कि किसने क्या किया है और वे (जमात) पहले पाकिस्तान द्वारा नियंत्रित थे और अब उनका रिमोट नागपुर में है. कुलगाम से चार बार विधायक रह चुके एम वाई तारिगामी ने चुनाव में जमात की भागीदारी पर कटाक्ष करते हुए कहा, "पहले वे लाहौर द्वारा नियंत्रित थे, अब उनका रिमोट नागपुर में है, यहां के लोगों को पता है कि किसने क्या किया है" 

चुनाव के पहले चरण में एजेंसियों के लिए सुरक्षा सबसे बड़ी चिंता थी, लेकिन योजनाबद्ध सुरक्षा व्यवस्था के कारण मतदान हिंसा मुक्त रहा. पहले चरण के चुनाव में 219 उम्मीदवार मैदान में थे. पहले चरण में 24 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान हुआ, जिसमें कश्मीर में 16 और जम्मू में 8 शामिल हैं. जम्मू-कश्मीर में होने वाला यह विधानसभा चुनाव केंद्र शासित प्रदेश की किस्मत का फैसला करेगा, क्योंकि बहिष्कार से लोकतंत्र तक के सफर ने लोगों की राय बदल दी है. उनका कहना है कि लोकतांत्रिक माहौल जितना मजबूत होगा, वे उतने ही समृद्ध होंगे.

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