पीठ ने हरियाणा के सभी न्यायिक मजिस्ट्रेटों को आदेश दिया कि वे सुनवाई की अगली तारीख तक मुकदमा वापस लेने की किसी अर्जी या मुकदमों से जुड़ी किसी निरस्तीकरण रिपोर्ट पर कोई आदेश पारित नहीं करें.
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चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन के सिलसिले में दर्ज किए गए मुकदमे वापस लेने से हरियाणा सरकार को रोक दिया है. हरियाणा सरकार ने 407 ऐसे मुकदमों की सूची सौंपी थी, जिसे उसने वापस लेने की अनुमति दी थी.
मुख्य न्यायाधीश कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति अरुण पाली की पीठ ने बुधवार को हरियाणा के सभी न्यायिक मजिस्ट्रेटों को आदेश दिया कि वे सुनवाई की अगली तारीख तक मुकदमा वापस लेने की किसी अर्जी या मुकदमों से जुड़ी किसी निरस्तीकरण रिपोर्ट पर कोई आदेश पारित नहीं करें.
न्यायालय ने कहा,‘हम निर्देश देते हैं कि अगले आदेश तक हरियाणा सरकार मुकदमे वापस लेने की अपनी अर्जियों पर कदम नहीं बढ़ाएगी.’ यह मुकदमे फरवरी 2016 में जाट आंदोलन के दौरान आगजनी और हिंसा से जुड़े हुए हैं.
मुरथल बलात्कार कांड और जाट आरक्षण आंदोलन के मामलों में ‘अमाइकस क्यूरे’ के तौर पर पेश हुए वरिष्ठ वकील अनुपम गुप्ता ने कहा,‘2,000 से ज्यादा मामलों में से सरकार ने 407 मामले वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की है. इनमें से कई मामलों को प्रकाश सिंह समिति ने गंभीर करार दिया था.’ उन्होंने कहा कि इस मामले में अगली सुनवाई अब चार अक्तूबर को होगी.
(इनपुट - भाषा)