Jharkhand News: हैदराबादी बिरयानी में वो जादू है जो खाने वालों को 'बांधकर' रखती है. उन्हें अपना स्वाद भूलने नहीं देती शायद इसीलिए पार्टी को न भूलने देने के लिए झारखंड और बिहार से कांग्रेस विधायकों को बिरयानी खिलाने हैदराबाद भेजना पड़ा.
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Jharkhand Political Crisis: बिरयानी खाने के शौकीन हर फूड काउंटर पर हैदराबादी बिरयानी वाला टेस्ट ही ढूंढते हैं. हैदराबाद का ट्रिप हो तो बिरयानी के बिना अधूरा है. दूसरे राज्यों के सियासी लोगों को यह मौका कम मिल पाता है. हालांकि जब उनका मन डोलने लगे, मौजूदा विचारधारा से पेट न भर रहा हो, सियासी 'खेल' की आहट से कमजोरी बढ़ने लगे तो उन्हें प्लेन में भरकर बिरयानी खिलाने हैदराबाद पहुंचा दिया जाता है. मानो हैदराबादी बिरयानी से फेविकोल की पावर मिल रही हो. जो आत्मा पहले डोल रही थी, वो जमीर अब जाग जाएगा. उन्हें निष्ठा समझ में आएगी और पार्टी की विचारधारा से ही पेट भरने लगेगा. पहले झारखंड और अब बिहार में यही तो हो रहा है. बिरयानी खिलाने की जिम्मेदारी भी ABVP से टीडीपी होते हुए कांग्रेस में आए सीएम रेवंत रेड्डी (Revanth Reddy) ने अपने हाथों में ले रखी है.
बिरयानी में सियासी जायका
कुछ साल पहले डीके शिवकुमार कांग्रेस या उसके गठबंधन वाली सरकारों को बचाने वाले 'संकटमोचक' के तौर पर उभरे थे. अब यही भूमिका तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी निभा रहे हैं. 56 साल के रेड्डी विद्यार्थी जीवन में एबीवीपी के सदस्य थे. 2007 में निर्दलीय के तौर पर एमएलसी का चुनाव लड़ा. बाद में टीडीपी फिर 2017 में कांग्रेस में आए.
रेवंत रेड्डी शायद सियासी जायका अच्छे तरह से पकड़ते हैं. जब हम बिहार और झारखंड के कांग्रेसियों को बिरयानी खिलाए जाने की बातें कर रहे हैं, कुछ घंटे पहले ही रेवंत ने प्रसिद्ध कुमारी आंटी का फूड स्टॉल बचाने के लिए खुद दखल दिया. सोशल मीडिया और व्लॉगर्स के जरिए Kumari Aunty इतनी फेमस हो गई हैं कि सड़क पर उनके स्टॉल पर सिलेब्रिटी भी पहुंचने लगे. ट्रैफिक जाम लगने लगा. शिकायत हुई तो स्टॉल शिफ्ट करने के आदेश हुए. बाद में सीएम ने स्टॉल नहीं हटाने का आदेश दिया.
झारखंड में नए मुख्यमंत्री के शपथ लेने के बाद भी जब भाजपा से डर बना रहा तो कांग्रेस ने अपने और झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायकों को प्लेन में बिठाकर बिरयानी खाने रवाना कर दिया.
सभी को हैदराबाद के एक रिजॉर्ट में रखा गया. सीएम रेवंत रेड्डी के रहते तेलंगाना में कांग्रेस आश्वस्त थी कि वह रिजॉर्ट में विधायकों की जमकर खातिरदारी करेंगे लेकिन कोई सियासी परिंदा वहां पर नहीं मार पाएगा. एक, दो, तीन, चार... कुछ इसी तरह विधायकों ने कैमरे के सामने अपना सपोर्ट जाहिर किया था फिर 38 विधायक हैदराबाद के लिए निकल गए. शायद वहां भी एक, दो, तीन... गिनकर 40-40 प्लेट हैदराबादी बिरयानी साफ हुई होगी.
लियोनिया होलिस्टक डेस्टिनेशन में विधायकों की सुरक्षा के लिए कदम-कदम पर पहरेदार खड़े किए गए थे. न कोई वहां आ सकता था, न कोई जा सकता था.
गठबंधन के विधायकों का पेट तो बिरयानी से भर रहा था लेकिन भाजपा नेताओं के पेट को लेकर कांग्रेस सशंकित ही रही. झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि हमारे बहुमत को लूटने की कोशिश हो रही है, चंपई सोरेन को शपथ दिलाने में देरी हुई. बीजेपी बातें तो साफ-सुथरी करती है लेकिन उसके पेट में क्या है, पता नहीं. ये पहले भी एमपी, कर्नाटक और महाराष्ट्र में ऐसा कर चुके हैं.
लिट्टी चोखा vs बिरयानी
इसी मकर संक्राति को नीतीश कुमार लालू यादव के बगल में चूड़ा-दही खाते दिखे थे. शायद मिठास कुछ कम थी और कुछ दिन बाद ही नीतीश भाजपा के साथ हो लिए. तेजस्वी यादव ने तब कहा था कि खेला अभी बाकी है. इससे कई तरह की अटकलें लगाई जानें लगीं. एक आशंका यह भी थी कि जेडीयू टूट सकती है? हालांकि लिट्टी-चोखा प्रेमी बिहार के कांग्रेसी विधायकों को अब बिरयानी खिलाने हैदराबाद भेज दिया गया है.
बहुमत परीक्षण 12 फरवरी को है तब तक एक हफ्ते से ज्यादा समय तक 16-17 विधायक प्लेट पर प्लेट बिरयानी साफ करेंगे. पेट उनका भरेगा लेकिन डर कांग्रेस का खत्म होगा. हां, विधायकों के टूटने की आशंका के चलते ही उन्हें हैदराबाद ले जाकर बिरयानी खिलानी पड़ रही है. विपक्ष के पास 114+1 विधायक हैं जबकि भाजपा+जेडीयू खेमे में 128 विधायक हैं. शायद अंदरखाने कोई खेला भी चल रहा हो.
इस बिरयानी में ऐसा क्या है?
हां. बिरयानी की इतना बातें हो रही हैं तो हैदराबादी टेस्ट की खासियत भी जान लीजिए. मुगल अपने साथ बिरयानी ले आए थे. बताते हैं कि तब सैनिकों को मजबूत बनाने के लिए चावल, मीट और कई तरह के मसालों से बिरयानी बनाई जाती थी. वक्त बदला तो इसका जायजा यूनीक होता गया क्योंकि इसमें कई तरह की चीजें डाली जाने लगीं. हैदराबादी जायका अलग होने की सबसे बड़ी वजह उनका बनाने का तरीका है. धीमी आंच पर चावल के साथ मटन/चिकन या सब्जी जब मसालों के साथ पकती है तो स्वाद भुलाए नहीं भूलता.
शायद बिहार, झारखंड से गए नेता भी हैदराबादी बिरयानी खाकर न सिर्फ मजबूत होकर लौटें बल्कि स्वाद की तरह यह भी न भूलें कि पार्टी के साथ ही खड़े रहना है. दूसरा टेस्ट भूलकर भी पसंद नहीं आना चाहिए.