झारखंड के जंगलों में 'लैंड जिहाद' का खुल्ला खेल, बांग्लादेशी घुसपैठियों की ऐसी है मोडस ओपरेंडी
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झारखंड के जंगलों में 'लैंड जिहाद' का खुल्ला खेल, बांग्लादेशी घुसपैठियों की ऐसी है मोडस ओपरेंडी

Jharkhand Land Jihad: झारखंड की सीमाएं पश्चिम बंगाल से जुड़ती हैं, जिसकी सीमा बांग्लादेश से जुड़ी है. झारखंड का पाकुड़ इस वक्त बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहली पसंद बना हुआ है. यहां की आदिवासी जमीनें और जंगलों पर बांग्लादेशी घुसपैठियों का लैंड जिहाद चल रहा है. 

झारखंड के जंगलों में 'लैंड जिहाद' का खुल्ला खेल, बांग्लादेशी घुसपैठियों की ऐसी है मोडस ओपरेंडी

Bangaldeshi Infiltrators: इस वक्त देश में लैंड जिहाद के रूप में एक बहुत बड़ी साजिश चल रही है. ये साजिश देश के आदिवासियों के खिलाफ है. झारखंड के संथाल परगना क्षेत्र में इन दिनों डेमोग्राफी बदली जा रही है. बांग्लादेशी घुसपैठियों को यहां चोरी छिपे बसाया जा रहा है. ये किसके इशारे पर हो रहा है, ये जांच का विषय है. लेकिन सच्चाई ये है कि ये बांग्लादेशी घुसपैठिए, संथाल परगना के आदिवासियों के लिए बड़ा खतरा बनते जा रहे हैं.

झारखंड के संथाल परगना को 6 जिलों में बांटा जाता है. इसमें गोड्डा, देवघर, दुमका,जामताड़ा, साहिबगंज और पाकुड़ आते हैं. संथाल परगना वो क्षेत्र है जहां आदिवासियों की बड़ी आबादी रहती है.

बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहली पसंद है पाकुड़

झारखंड की सीमाएं पश्चिम बंगाल से जुड़ती हैं, जिसकी सीमा बांग्लादेश से जुड़ी है. झारखंड का पाकुड़ इस वक्त बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहली पसंद बना हुआ है. यहां की आदिवासी जमीनें और जंगलों पर बांग्लादेशी घुसपैठियों का लैंड जिहाद चल रहा है. अब स्थिति ये है कि इस क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठियों की सत्ता चल रही है.

जी न्यूज की टीम पाकुड़ के ही एक गांव में पहुंची, जहां एक आदिवासी परिवार पर 150 बांग्लादेशी घुसपैठयों ने हमला कर दिया था. इस आदिवासी परिवार पर हमला इसलिए किया गया, क्योंकि वो अपनी जमीन पर बांग्लादेशी घुसपैठियों का कब्जा हटाना चाहते थे. 

जमीनों पर घुसपैठियों की नजर

इन जंगलों और जमीनों पर षडयत्रकारियों की नजर है. जो आदिवासियों समाज की मुख्यधारा से दूर रह गए थे, अब वो बांग्लादेशी घुसपैठियों का शिकार बन रहे हैं. हालात ये है कि अब मुस्लिम बांग्लादेशी घुसपैठिए, मूल आदिवासियों को उन्हीं की जमीन से भगा रहे हैं.

पाकुड़ के गायबधान गांव से ऐसा ही एक मामला सामने आया, यहां बांग्लादेश मुस्लिम घुसपैठियों ने पहले एक आदिवासी परिवार की जमीन पर कब्जा किया, फिर जब वो परिवार कब्जा छुड़वाने आया, तो उन्हें बुरी तरह पीटा गया.

घुसपैठियों के जमीन कब्जाना काफी आसान

इस इलाके में आदिवासी जमीनों पर कब्जा करना घुसपैठियों के लिए काफी आसान हो गया है. हथियारों से लैस घुसपैठिए, आदिवासियों को डरा धमकाकर, भगा देते हैं. फिर उन्हीं की जमीन पर बस जाते हैं. कहा जाता है कि इस पूरे इलाके में कई गांव ऐसे ही बसे हुए हैं. पाकुड़ के जिस परिवार पर बांग्लादेशी घुसपैठियों ने हमला किया, वो परिवार अपनी जमीन पर घर बनाना चाहता था.

अवैधी बांग्लादेशी मुस्लिमों ने इनकी जमीन पर कई वर्षों से अवैध कब्जा किया गया हुआ था, जिस आदिवासी परिवार की जमीन पर कब्जा किया गया था, वो कानूनी रूप से कोर्ट जाकर ऑर्डर लेकर भी आ गया था.

अस्पताल में लड़ रहे जिंदगी-मौत की लड़ाई

बावजूद इसके प्रशासन ने लैंड जिहाद के इस मामले को सामान्य मामला समझा, और कोई कार्रवाई नहीं की. आज इसी आदिवासी परिवार के 5 लोग अस्पताल में जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं.

वर्ष 2015 में कोर्ट ने प्रशासन को जमीन दिलवाने के आदेश दिए थे. लेकिन प्रशासन बांग्लादेशी घुसपैठियों से जमीन खाली नहीं करवा पाया. बांग्लादेशी घुसपैठिए भी आदिवासी जमीन पर अपना दावा करते हैं, लेकिन कागज नहीं दिखा पाते.

पाकुड़ ही नहीं, संथाल परगना के पूरे क्षेत्र में डेमोग्राफी बदलने के आरोप लगते रहे हैं. यहां पर बड़े पैमाने पर बांग्लादेशी घुसपैठियों ने अवैध कब्जे किए हुए हैं. आदिवासी जमीनों पर कब्रिस्तान या मस्जिद का बनना भी यहां आम घटना बन गई है. पाकुड़ के इस मामले को लेकर विपक्ष ने हेमंत सोरेन सरकार पर गंभीर सवाल उठाए हैं.

झारखंड के आदिवासी संथाल परगना में बांग्लादेशियों के घुसपैठ का एक खास रूटमैप है. इसी रूटमैप के जरिए वो अवैध घुसपैठ करते हैं, और फिर लैंड जिहाद की एक खास मॉडस ऑपरेंडी के तहत आदिवासी इलाकों में बस जाते हैं.

कैसे करते हैं घुसपैठ

बांग्लादेशी घुसपैठिए, सबसे पहले पश्चिम बंगाल के मालदा, मुर्शिदाबाद, उत्तरी दिनाजपुर में घुसपैठ करते हैं. इसके बाद ये झारखंड के पाकुड़, साहिबगंज, दुमका, गोड्डा, और जामताड़ा के आदिवासी इलाकों में चले आते हैं.

इन घुसपैठियों को यहां के मदरसों में रुकवाया जाता है. इसके बाद यहां के लोकल सपोर्ट से ये अपनी फर्जी दस्तावेज तैयार कर लेते हैं.
दस्तावेज तैयार होने के बाद ये घुसपैठिए आदिवासी लड़कियों को फंसाकर, उनसे शादी करते हैं.

ऐसा नहीं है कि इस लैंड जिहाद की बड़ी साजिश की जानकारी अधिकारियों को नहीं है.

  • वर्ष 2023 में पुलिस अधिकारियों ने कई बार ये शिकायत की है, कि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठियों को मदरसों में रुकवाया जाता है. इसके बाद फर्जी दस्तावेज के आधार पर मतदाता सूची में नाम डलवा दिया जाता है. इससे राज्य की आतंरिक सुरक्षा को खतरा है.

  • वर्ष 2023 में झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने भी कहा था कि विदेशी घुसपैठिए, आदिवासी महिलाओं से शादी करते हैं. इससे क्षेत्र की डेमोग्राफी बदल रही है. ये खतरनाक है.

  • पिछले महीने गृहमंत्री अमित शाह ने भी बांग्लादेशी घुसपैठ पर चिंता जताई थी। उन्होंने झारखंड में सरकार बनने पर आदिवासी क्षेत्रों में अवैध घुसपैठ और डेमोग्राफी के डेटा पर श्वेत पत्र लाने की बात कही थी।

  • पिछले महीने ही झारखंड हाईकोर्ट ने संथाल परगना में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर चिंता जताई थी. हाईकोर्ट ने अवैध घुसपैठ रोकने को लेकर सरकार से एक्शन प्लान भी मांगा था.

  • लेकिन अफसोस, अभीतक आदिवासी क्षेत्रों में हो रही बांग्लादेशी घुसपैठ पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. यही वजह है कि मुस्लिम बांग्लादेशी घुसपैठियों का लैंड जिहाद जारी है.

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