हिमाचल प्रदेश: भारत और कजाख सेना के बीच युद्धाभ्यास शुरू, धमाकों से गूंजी घाटियां
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हिमाचल प्रदेश: भारत और कजाख सेना के बीच युद्धाभ्यास शुरू, धमाकों से गूंजी घाटियां

भारतीय और कजाख सेनाओं ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और कौशल तथा अनुभव का आदान प्रदान करने के लिए हिमाचल प्रदेश में 14 दिन का संयुक्त अभ्यास शुरू हो गया है.

हिमाचल प्रदेश में दोनों देशों की सेनाएं युद्धाभ्यास कर रही हैं (भारतीय सेना- फाइल फोटो)

जम्मू: हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों पर इन दिनों खूब उधल-पुथल मची हुई है. एक तरफ यहां चुनावी माहौल पूरी तरह से गर्माया हुआ है, वहीं भारत और कजाखस्तान की सेना के बीच हो रहे युद्धाभ्यास से यहां की घाटियां गूंज रही हैं. भारतीय और कजाख सेनाओं ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और कौशल तथा अनुभव का आदान प्रदान करने के लिए हिमाचल प्रदेश में 14 दिन का संयुक्त अभ्यास शुरू हो गया है. दोनों देशों के बीच यह दूसरा संयुक्त सैन्य अभ्यास है. ‘प्रबल दोस्तिक’ के पहले संस्करण का आयोजन वर्ष 2016 में कजाखस्तान में हुआ था.

  1. हिमाचल प्रदेश के बकलोह में किया जा रहा है युद्धाभ्यास
  2. 1866 में की गई थी चंबा जिले में बकलोह छावनी की स्थापना
  3.  कजाखस्तान की सेना ले रही आतंकवदियों से निपटने की ट्रेनिंग

रक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, भारतीय सेना और कजाखस्तान सेना के बीच 14 दिन के संयुक्त अभ्यास ‘प्रबल दोस्तिक-2017’ का गुरुवार को आगाज हुआ और हिमाचल प्रदेश के बकलोह में इस अभ्यास का उद्घाटन समारोह हुआ. संयुक्त अभ्यास का लक्ष्य दोनों देशों बीच सैन्य संबंधों को बढ़ाना और दोनों सेनाओं के बीच पारस्परिकता को हासिल करना है.

पढ़ें: भारत-कजाखस्तान के बीच पांच अहम समझौतों पर हुए हस्ताक्षर

प्रशिक्षण दस्ते के लिए भारतीय सेना के 11वें गोरखा राइफल की तीसरी बटालियन से एक पलाटून ली गई है. इतनी ही संख्या में कजाखस्तान सेना के कर्मी हैं. दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य निरीक्षक संयुक्त अभ्यास के अंतिम चरण के गवाह बनेंगे. संयुक्त राष्ट्र की संधि के तहत विद्रोह रोधी एवं आतंकवाद रोधी अभियानों की पृष्ठभूमि में दोनों सेनाएं एक दूसरे की संचालन प्रक्रियाओं से अवगत कराएंगी. कुल मिलाकर इसका लक्ष्य भारतीय सेना और कजाखस्तान सेना के बीच मौजूदा सैन्य संबंधों को बढ़ाना और जब जरूरत पड़े तब संयुक्त अभियानों में दोनेां के बीच तालमेल को हासिल करना है.

बता दें कि भारतीय सेना दुर्गम इलाकों में भी आतंकवादियों से निपटने में महारत रखती है. इसलिए अभ्यास के पहले दिन दोनों देशों की सेनाओं ने आतंकवादियों को कोशिशों को नाकाम करने वाली तकनीकों पर काम किया.

बकलोह चंबा जिले में एक कन्टोनमेंट टाउन है. इस छावनी की स्थापना 1866 में की गई थी. 

(इनपुट भाषा से)

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