कोरोना काल में अदालतों में दाखिल हुए 18 लाख केस, क्या अब डिजिटल कोर्ट में हमेशा होगी सुनवाई?
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कोरोना काल में अदालतों में दाखिल हुए 18 लाख केस, क्या अब डिजिटल कोर्ट में हमेशा होगी सुनवाई?

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने ये जानकारी देते हुए कहा कि कोरोना वायरस (Coronavirus) की वजह से इस साल मार्च से जुलाई माह में लागू लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान सभी अदालतों में कुल 18 लाख से ज्यादा याचिकाएं दायर हुईं.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Coronavirus) संकट काल के दौरान देशभर की अदालतों में 18 लाख मुकदमे दायर हो चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने ये जानकारी देते हुए कहा कि कोरोना वायरस की वजह से इस साल मार्च से जुलाई माह में लागू लॉकडाउन के दौरान सभी अदालतों में कुल 18 लाख से ज्यादा याचिकाएं दायर हुईं.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि कोरोना संकट काल की विकट परिस्थितियों में स्थापित की गई डिजिटल कोर्ट हमेशा के लिए नहीं है. पारंपरिक रूप से खुली अदालतों में सुनवाई फिर से धीरे-धीरे शुरू की जाएगी.

आपको बता दें कि जस्टिस चंद्रचूड़ ने देश के पहले ‘ई-गवर्नेंस केंद्र' के डिजिटल उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान ये बात कही. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि कोरोना लॉकडाउन के दौरान 24 मार्च से 24 जुलाई के बीच देशभर में 18,03,327 याचिकाएं आईं, जिनमें से 7,90,112 का निपटारा किया जा चुका है.

उन्होंने बताया कि लॉकडाउन की इस अवधि के दौरान महाराष्ट्र की जिला अदालतों में 2,22,431 मामले आए, जिनमें से 61,986 का कोरोना महामारी के साये के बावजूद निपटारा किया जा चुका है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि डिजिटल अदालतों की वजह से संकट के इस दौर के बावजूद न्यायिक प्रणाली बाधित नहीं हुई.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने वकीलों और मुवक्किलों की उन चिंताओं पर विराम लगाया कि डिजिटल अदालतें आने वाले समय में नियमित अदालतों की जगह ले लेंगी. उन्होंने कहा, 'संकट के समय न्याय बाधित ना हो इसीलिए डिजिटल अदालतों की व्यवस्था लागू की गई है लेकिन कभी भी खुली अदालतों में सुनवाई की जगह कोई और नहीं ले सकता है.'

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उन्होंने कहा कि ये विशेष उपाय थे जिन्हें बेहद ही अपवादस्वरूप परिस्थितियों में लागू किया गया और धीरे-धीरे हम खुली अदालतों में सुनवाई की तरफ वापस लौटेंगे लेकिन इससे पहले कि हम नियमित सुनवाई के लिए जाएं. हमें मेडिकल गाइडलाइन का पालन भी करना होगा ताकि वकीलों और मुवक्किलों के स्वास्थ्य का ध्यान रखा जा सके.

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