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कैराना: आपको कैराना (Kairana) तो याद होगा. ये वही जगह है, जहां आज से 5 साल पहले हिंदू परिवारों ने अपने घरों को छोड़कर भागना शुरू कर दिया था. इसकी वजह थी कैराना में हिंदू और मुस्लिम आबादी के बीच पैदा हुआ असंतुलन. सोमवार को उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) उसी कैराना में गए और उन्होंने कहा कि अब किसी को डरने की जरूरत नहीं है. उन्होंने अपराधियों को खुली चुनौती भी दी और कहा कि अब अपराधियों ने व्यापारियों को तंग किया तो उनकी छाती में गोली दागी जाएगी.
आपको याद होगा Zee News पहला ऐसा न्यूज चैनल था, जिसने वर्ष 2016 में हिंदुओं के पलायन (Exodus Of Hindus) की इस पीड़ा को देश के सामने रखा था. उस समय हमें 346 हिंदू परिवारों की एक सूची मिली थी, जो बढ़ते अपराध के डर से रातों-रात अपने घरों और दुकानों पर ताला लगा कर चले गए थे और इन पर ये लिख दिया गया था कि ये मकान और दुकान बिकाऊ हैं.
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इस पलायन का सबसे बड़ा कारण था कैराना की हिंदू और मुस्लिम जनसंख्या में आया बड़ा बदलाव. 2011 की जनगणना के मुताबिक, कैराना में 30 प्रतिशत हिंदू और 68 प्रतिशत मुस्लिम आबादी थी. लेकिन 2016 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वहां मुस्लिम आबादी तो 92 प्रतिशत हो गई लेकिन हिंदू आबादी घट कर सिर्फ 8 प्रतिशत रह गई. उस समय कैराना में हिंदुओं के पलायन की खबरें स्थानीय अखबारों में तो छपती थीं लेकिन राष्ट्रीय मीडिया में इसका जिक्र तक नहीं होता था. और ऐसे समय में हमारी टीम ने कैराना जाकर उन मकानों की पड़ताल की थी, जिन पर ताले लगे हुए थे.
हमारे देश के लोग 1990 के दशक में कश्मीर से विस्थापित हुए कश्मीरी पंडितों का दर्द तो जानते हैं लेकिन उन्हें शायद ये नहीं पता कि एक समय कैराना को भी कश्मीर बनाने की कोशिशें हुई थीं. इसलिए आज आपको कैराना की दो तस्वीरें देखनी चाहिए. एक तस्वीर आज की है, जब कैराना से विस्थापित हुए हिंदू परिवार अपने बंद पड़े घरों में वापस लौट रहे हैं और निडर होकर अपनी दुकानों पर भी काम कर पा रहे हैं और दूसरी तस्वीर 2016 की उस रिपोर्ट की है जब Zee News ने कैराना का सच देश को बताया था.
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एक बार सोच कर देखिए कैराना की जगह अगर इसी तरह का पलायन किसी और शहर में हुआ होता और पलायन करने वाले लोग हिंदू नहीं बल्कि अल्पसंख्यक होते तो ये खबर कितनी बड़ी बन जाती है. हमारे देश का एक खास वर्ग इस खबर को हाथों ले लेता. ये ठीक वैसा ही जैसे आज अगर किसी हिंदू को किसी मुस्लिम बहुल इलाके में किराए पर घर ना मिले तो वो बड़ी खबर नहीं बनती. लेकिन अगर किसी अल्पसंख्यक को हिंदू इलाके में किसी कारण से घर नहीं मिलता तो ये खबर बहुत बड़ा रूप ले लेती है.