कंचनजंगा एक्सप्रेस एक्सीडेंट: मालगाड़ी के सहायक लोको पायलट ने बताया कारण.. कैसे हुआ हादसा
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कंचनजंगा एक्सप्रेस एक्सीडेंट: मालगाड़ी के सहायक लोको पायलट ने बताया कारण.. कैसे हुआ हादसा

Indian Railway: माना जाता है कि मालगाड़ी के सहायक लोको पायलट मोनू कुमार, जो कंचनजंघा एक्सप्रेस दुर्घटना में बचे थे, वे एकमात्र चश्मदीद हैं. मोनू कुमार ने बताया कि आगे लाइन में घुमाव के कारण वे ट्रेन को नहीं देख सके थे.

कंचनजंगा एक्सप्रेस एक्सीडेंट: मालगाड़ी के सहायक लोको पायलट ने बताया कारण.. कैसे हुआ हादसा

Kanchanjunga Express: कंचनजंगा एक्सप्रेस दुर्घटना के एकमात्र चश्मदीद गवाह मालगाड़ी के सहायक लोको पायलट ने हादसे के बारे में बताया है. मोनू कुमार ने बताया कि आगे लाइन में घुमाव के कारण वे ट्रेन को नहीं देख सके थे. माना जाता है कि मालगाड़ी के सहायक लोको पायलट मोनू कुमार, जो कंचनजंघा एक्सप्रेस दुर्घटना में बचे थे, वे एकमात्र चश्मदीद हैं. उन्होंने अधिकारियों को बताया कि वह और लोको पायलट उसी ट्रैक पर दूसरी ट्रेन की मौजूदगी से अनजान थे. इसके अलावा लाइन में एक घुमाव के कारण वे कंचनजंघा एक्सप्रेस को समय पर नहीं देख पाए.

200 मीटर पहले लाइन पर कर्व था

असल में उन्होंने बताया कि दुर्घटनास्थल से करीब 200 मीटर पहले लाइन पर कर्व था. तभी बगल के ट्रैक पर दूसरी ट्रेन के आने से मामला और जटिल हो गया था. इससे उनके लिए उसी ट्रैक पर खड़ी ट्रेन को देखना और भी चुनौतीपूर्ण हो गया था. वहीं कंचनजंघा एक्सप्रेस से मालगाड़ी के टकराने की हालिया घटना के सिलसिले में रेलवे के चालक संघों ने दावा किया है कि उनके पास मालगाड़ी के चालक की बेगुनाही साबित करने के लिए नए दस्तावेज हैं. 

मालगाड़ी के चालक को जिम्मेदार ठहराया था

हुआ यह था कि दुर्घटना के बाद रेलवे बोर्ड ने इस टक्कर के लिए मालगाड़ी के चालक को जिम्मेदार ठहराया था. चालक संघों ने अपने दावे के समर्थन में मालगाड़ी चालक को रानीपतरा स्टेशन परिसर के बाद दो खराब सिग्नल को पार करने के लिए जारी किए गए आधिकारिक पत्र टी/369 (3बी) का जिक्र किया जिसमें गति की सीमा 15 किलोमीटर प्रति घंटे रखने का उल्लेख था, जबकि दूसरे पत्र - टी/ए 912 में, गति को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं था.

‘‘बलि का बकरा’’ बनाने के समान

कर्मचारी संघों ने कहा है कि हादसे में मालगाड़ी के चालक की भी मौत हो गई है और उसका पक्ष हमें पता नहीं है ऐसे में उसे दोषी ठहराना रेलवे की कमियों के लिए उसे ‘‘बलि का बकरा’’ बनाने के समान है. भारतीय रेलवे लोको रनिंगमैन संगठन (आईआरएलआरओ) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय पांधी ने शुक्रवार को कहा, ‘‘सुबह 5.50 बजे के बाद रानीपतरा स्टेशन से गुजरने वाले सभी सात ट्रेन चालकों को नौ खराब सिग्नलों को पार करने के लिए टी/ए 912 जारी किया गया था और इसमें किसी गति सीमा का उल्लेख नहीं है. बता दें कि 17 जून को न्यू जलपाईगुड़ी के पास हुए हादसे में मालगाड़ी के चालक सहित 10 लोगों की मौत हो गई थी और 40 अन्य घायल हुए. agency input

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