कश्मीरी पंडितों का आरोप, जम्मू- कश्मीर में धारा 370 नहीं होती तो न होता पलायन
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कश्मीरी पंडितों का आरोप, जम्मू- कश्मीर में धारा 370 नहीं होती तो न होता पलायन

 "धारा के हटने से राष्ट्रीय एकीकरण मजबूत होगा और राज्य में निजी धन का प्रवाह हो सकेगा. यह राज्य के धर्म निरपेक्ष ताने-बाने को भी मजबूत करेगा."

कश्मीरी पंडितों का आरोप, जम्मू- कश्मीर में धारा 370 नहीं होती तो न होता पलायन

नई दिल्ली: कश्मीरी पंडितों को लगता है कि आतंकवाद के साथ ही जम्मू एवं कश्मीर को विशेष दर्जा देने का प्रावधान, घाटी से उनके पलायन का बड़ा कारण है. वे इस बात पर जोर देते हैं कि धारा 370 का मूल स्वरूप भेदभावपूर्ण है क्योंकि जम्मू एवं कश्मीर के लोग, जिनमें सैयद अली शाह गिलानी जैसे अलगाववादी नेता भी शामिल हैं, राज्य के बाहर कहीं भी संपत्ति खरीद सकते हैं, लेकिन देश के बाकी हिस्सों के लोग जम्मू एवं कश्मीर में ऐसा नहीं कर सकते. कश्मीरी पंडितों के संगठन, कश्मीरी समिति के महासचिव विजय रैना ने कहा, "धारा-370 कश्मीरी पंडितों के पलायन का कारण है. अगर यह नहीं होती, तो पलायन नहीं होता." 1990 के दशक की शुरुआत में आतंकवादियों द्वारा धमकियां देने और उन्हें निशाना बनाने के कारण कश्मीरी पंडितों का पूरा समुदाय घाटी से पलायन कर गया था. 


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