अकेले में चुपचाप पोर्न देखना अपराध नहीं है, आखिर केरल हाईकोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?
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अकेले में चुपचाप पोर्न देखना अपराध नहीं है, आखिर केरल हाईकोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?

Pornography: केरल हाईकोर्ट ने साफ किया है कि दूसरों को दिखाए बिना निजी तौर पर अश्लील वीडियो देखना आईपीसी की धारा 292 के तहत अश्लीलता का अपराध नहीं होगा. केरल हाईकोर्ट ने यह फैसला तब सुनाया है जब एक केस की सुनवाई चल रही थी.

अकेले में चुपचाप पोर्न देखना अपराध नहीं है, आखिर केरल हाईकोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?

Kerala High Court: भारत में वैसे तो पोर्न मूवीज बैन हैं. इनके बारे में यह ख्याल आता है कि क्या यह कानूनी है? और अगर कानूनी नहीं है तो उन्हें सजा क्यों नहीं होती है, या फिर देख रहे हैं तो क्या उन्हें सजा हो सकती है. ऐसे तमाम सवाल सामने आते हैं. इन सबके बीच केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैसला सुनाया है जिसमें बताया है कि अकेले में पोर्न देखना अपराध है या नहीं है. केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि चुपचाप अकेले में पोर्न देखना अश्लीलता का अपराध नहीं है.

आपराधिक कार्यवाही रद्द
दरअसल, केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में एक शख्स के खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया है. यह सब तब हुआ है जब आरोपी शख्स को पुलिस ने अपने मोबाइल फोन पर अश्लील वीडियो देखने के आरोप में सड़क किनारे से गिरफ्तार किया था. आरोपी की याचिका पर सुनवाई करते हुए केरल उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति पी.वी. कुन्हिकृष्णन ने कहा कि अकेले में पॉर्न वीडियो देखना अश्लीलता के तहत अपराध में नहीं आता है.

आईपीसी धारा 292 के तहत अपराध नहीं
उन्होंने अपने जजमेंट में कहा है कि इस मामले में निर्णय लेने का प्रश्न यह है कि क्या किसी के द्वारा दूसरों को दिखाए बिना अपने निजी समय में पोर्न वीडियो देखना अपराध की श्रेणी में आता है? कानून की अदालत यह घोषित नहीं कर सकती कि यह साधारण कारण से अपराध की श्रेणी में आता है. यह उनकी निजी पसंद है और इसमें हस्तक्षेप करना उनकी निजता में दखल के समान है. किसी के द्वारा अपनी निजता में अश्लील फोटो देखना आईपीसी की धारा 292 के तहत अपराध नहीं है.

जजमेंट में यह भी बताया गया कि अपनी निजता में मोबाइल फोन से अश्लील वीडियो देखना भी आईपीसी की धारा 292 के तहत अपराध नहीं है. यदि आरोपी किसी अश्लील वीडियो या फोटो को प्रसारित करने या वितरित करने या सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करने की कोशिश कर रहा है तो केवल आईपीसी की धारा 292 के तहत अपराध होता है.

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