UP Politics: 10 का दम, मौर्य-नड्डा की मीटिंग का 'इफेक्‍ट'; 'तलवार' निकली है तो गूंज सुनाई देगी!
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UP Politics: 10 का दम, मौर्य-नड्डा की मीटिंग का 'इफेक्‍ट'; 'तलवार' निकली है तो गूंज सुनाई देगी!

Keshav Prasad Maurya Meets JP Nadda: नेताओं के बीच मुलाकातें चाहें जो भी हो रही हों लेकिन सूत्रों के मुताबिक यूपी में सीएम को लेकर कोई मंथन नहीं हो रहा है. योगी आदित्यनाथ सीएम बने रहेंगे. संगठन में बदलाव की पूरी संभावना है. योगी मंत्रिमंडल में भी बदलाव हो सकता है. फैसला अभी और विचार विमर्श के बाद लिया जाएगा.

UP Politics: 10 का दम, मौर्य-नड्डा की मीटिंग का 'इफेक्‍ट'; 'तलवार' निकली है तो गूंज सुनाई देगी!

Yogi Adityanath and Keshav Prasad Maurya: यूपी बीजेपी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. सूबे के भीतर लोकसभा चुनाव में पार्टी के पिछड़ने के बाद लगता है कि अंदरखाने की कलह सतह पर दिखने लगी है. केशव प्रसाद मौर्य के लखनऊ में 'सरकार से बड़ा संगठन' बयान को परोक्ष रूप से सीएम योगी आदित्‍यनाथ पर हमला माना जा रहा है. दोनों नेताओं के बीच 'मतभेद-मनभेद' की चर्चाएं वैसे भी रह-रहकर छनकर आती रही हैं. केशव प्रसाद मौर्य के बयान के दो दिन के भीतर ही उनकी दिल्‍ली में पार्टी अध्‍यक्ष जेपी नड्डडा से मुलाकात के बाद अटकलें बढ़ गई हैं. सवाल उठने लगा है कि यूपी में क्‍या होने वाला है? 

सूत्रों के मुताबिक केशव मौर्या ने नड्डा को प्रदेश के सियासी और प्रशासनिक हालात की जानकारी दी. जानकारी के अनुसार मौर्य ने नड्डा को कार्यकर्ताओं की भावनाओं को बताया कि कैसे प्रदेश में अफसरशाही हावी है. भाजपा कार्यकर्ताओं की तो कोई सुध लेनेवाला ही नहीं है. विधायकों और सांसदों की भी उचित सुनवाई नहीं हो पा रही है. कार्यकर्ताओं की ये नाराजगी भी लोकसभा में खराब प्रदर्शन के लिए एक प्रमुख कारण रहा है. मौर्य ने सुझाव दिया कि यूपी में जमीन पर काम करने की जरूरत है नहीं तो 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को परेशानी हो सकती है. पिछड़ों को वापस भाजपा की तरफ लामबंद किया जाए, इस पर भी केशव प्रसाद मौर्य ने जेपी नड्डा से चर्चा की. नड्डा ने मौर्य की शिकायतों और सुझावों को गौर से सुना और उस पर वरिष्ठ नेताओं से चर्चा का आश्‍वासन दिया. उसके बाद नड्डा की मुलाकात यूपी बीजेपी प्रदेश अध्‍यक्ष भूपेंद्र चौधरी से भी हुई.

इन मुलाकातों के बाद सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि नेताओं के बीच मुलाकातें चाहें जो भी हो रही हों लेकिन यूपी में सीएम को लेकर कोई मंथन नहीं हो रहा है. योगी आदित्यनाथ सीएम बने रहेंगे. संगठन में बदलाव की पूरी संभावना है. योगी मंत्रिमंडल में भी बदलाव हो सकता है. फैसला अभी और विचार विमर्श के बाद लिया जाएगा. हालांकि केंद्रीय नेतृत्‍व ने फिलहाल यूपी में तात्‍कालिक रूप से संगठन के भीतर आंशिक बदलाव के ही संकेत दिए हैं. संगठन के कुछ चेहरे हटाए जा सकते हैं उनकी जगह पर कुछ नए चेहरों को मौका दिया जा सकता है. संभावना है कि जिन लोगों का परफॉर्मेंस बहुत अच्छा नहीं रहा उनको सबसे पहले हटाया जाएगा.

दो वजहों से बहुत बड़ा सांगठनिक बदलाव होने की फिलहाल गुंजाइश नहीं है. पहला कारण तो ये है कि यूपी में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं और दूसरा ये कि केंद्रीय स्‍तर पर जेपी नड्डडा का राष्‍ट्रीय बीजेपी अध्‍यक्ष के रूप में कार्यकाल खत्‍म हो चुका है. बीजेपी में संगठन के लिहाज से केंद्रीय टीम में जब पूरी तरह बदलाव हो जाएगा तो उसके बाद ही यूपी में बड़े पैमाने पर बदलाव की संभावना दिखती है.  

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10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव
इस बीच सीएम योगी आदित्‍यनाथ उपचुनावों को लेकर पूरी तरह एक्‍शन मोड में हैं. शिक्षकों की 'डिजिटल अटेंडेंस' एवं लखनऊ में 'पंतनगर व इंद्रप्रस्थ के ध्वस्तीकरण' संबंधी फरमानों को फिलहाल स्‍थगित कर दिया गया है.  10 सीटों पर उपचुनाव को लेकर आज बड़ी बैठक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंत्रियों के साथ कर रहे हैं. उपचुनाव में जिनकी ड्यूटी लगायी गई उन मंत्रियों को बुलाया गया है. चुनावी तैयारियों का फीडबैक लिया जाएगा. सीसामऊ, मिल्कीपुर, करहल, कटेहरी, फूलपुर, मझवा, ग़ाज़ियाबाद सदर, मीरापुर, खैर और कुंदरकी में होना है चुनाव. इसमें सरकार के मंत्रियों और संगठन के पदाधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है. लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद इन 10 सीटों पर उपचुनावों को सीएम योगी के लिए लिटमेस टेस्‍ट के रूप में देखा जा रहा है. वो भी ये बात समझ रहे हैं तभी पिछले दिनों बीजेपी कार्यसमिति की बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में 10 सीटों पर होने जा रहे विधानसभा उपचुनाव और 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए सभी को अभी से सक्रिय होना होगा.

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लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार रविवार को लखनऊ में हुई प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में नसीहत भरे अंदाज में योगी ने कार्यकर्ताओं से कहा, 'कोई संदेह नहीं कि 2014, 2017, 2019 और 2022 में (लोकसभा और विधानसभा चुनावों में) जितना मत प्रतिशत भाजपा का रहा, 2024 में भी आप सभी कार्यकर्ताओं के संघर्ष से मोदी जी और राष्‍ट्रीय अध्यक्ष जी के नेतृत्व में भाजपा उतने वोट पाने में सफल रही लेकिन वोट इधर-उधर होने से समीकरण बदल जाते हैं. ऐसे में जब हम आत्‍मविश्‍वास में होते कि हम तो जीत ही रहे हैं तो स्वाभाविक रूप से कहीं न कहीं हमें खामियाजा भुगतना ही पड़ता है.'

इसके साथ ही उन्‍होंने कहा कि किसी भी स्थिति में 'बैकफुट' पर आने की आवश्यकता नहीं है. लोकसभा और राज्यसभा सांसद के साथ ही विधायक, विधान परिषद सदस्य, जिला पंचायत अध्यक्ष, महापौर, ब्लॉक प्रमुख, चेयरमैन और पार्षद सभी लोग 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट जाएं, हमें एक बार फिर प्रदेश में भाजपा का परचम लहराना है.

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