Kisan Andolan News: किसानों के साथ सरकार की चौथे दौर की वार्ता भी विफल रही. सरकार ने किसानों के सामने पांच फसलों पर एमएसपी का प्रस्ताव रखा था. घंटों की चर्चा के बाद किसानों ने सरकार के प्रस्ताव में कमियां गिनाईं और इसे ठुकरा दिया. यहां ये जान लेना जरूरी है कि सरकार ने किसानों को जो प्रस्ताव दिया था वो बेहद ही दूरदर्शी सोच वाला था.
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Kisan Andolan News: किसानों के साथ सरकार की चौथे दौर की वार्ता भी विफल रही. सरकार ने किसानों के सामने पांच फसलों पर एमएसपी का प्रस्ताव रखा था. घंटों की चर्चा के बाद किसानों ने सरकार के प्रस्ताव में कमियां गिनाईं और इसे ठुकरा दिया. यहां ये जान लेना जरूरी है कि सरकार ने किसानों को जो प्रस्ताव दिया था वो बेहद ही दूरदर्शी सोच वाला था. इससे अन्नदाताओं की आय तो बढ़ती ही साथ ही धरती भी हरी-भरी रहती... आइये आपको बताते हैं सरकार ने 5 फसलों पर ही MSP गारंटी देने का प्रस्ताव किसानों को क्यों दिया था.
5 फसलों पर एमएसपी का प्रस्ताव
भारत सरकार पांच फसलों को MSP पर खरीदने के लिए तैयार हुई थी तो इसके पीछे दूरदर्शी सोच और किसानों का हित था. जिन 5 फसलों को सरकार ने MSP पर खरीदने का प्रस्ताव किसानों को दिया था.. वो पंजाब, हरियाणा के किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता था.
सरकार में मन में क्या था?
-पंजाब-हरियाणा में सबसे ज्यादा गेहूं और उसके बाद धान की खेती होती है. इन राज्यों में किसान इन दोनों फसलों को सबसे ज्यादा इसलिए उगाते हैं. क्योंकि, सरकार सबसे ज्यादा मात्रा में इन्हीं दोनों फसल को खरीदती है.
-जबकि गेहूं और धान दोनों फसलों के लिए ज्यादा पानी की जरूरत पड़ती है. पंजाब में भूजल का स्तर तेजी से घट रहा है, इसपर सुप्रीम कोर्ट भी चिंता जाहिर कर चुका है.
-नवंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से कहा था कि घटते भूजल को बढ़ाने के उपाय करें.
-दाल, मक्का और कपास की खेती के लिए धान के मुकाबले कम पानी की जरूरत होती है. इससे पंजाब के भूजल के स्तर में सुधार की गुंजाइश है.
-धान की खेती से पंजाब-हरियाणा में पराली की समस्या होती है. पराली जलाने से प्रदूषण बढ़ने के आरोप भी दोनों राज्यों पर लगते हैं.
-इसके अलावा अलग-अलग फसल की खेती करने से धरती की ऊपजाऊ शक्ति बरकरार रहती है. इसका सीधा फायदा किसानों को मिलेगा.
सरकार के प्रस्ताव की वजह क्या थी?
भारत कपास की खेती के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से भारत में कपास का उत्पादन बढ़ने की बजाय कम होता जा रहा है. दूसरी तरफ भारत का कपास आयात बिल बढ़ता जा रहा है. अप्रैल 2022 से अप्रैल 2023 के बीच भारत ने लगभग 11 हजार 500 करोड़ रुपये की कपास आयात की. भारत में पिछले कुछ वर्षों में कपास का घटता उत्पादन चिंता का विषय है. कपड़ों के बढ़ते दाम भारत में महंगाई का एक प्रमुख कारण है. सरकार चाहती है कि किसान कपास पर भी ध्यान दें. ताकि भारत के आयात बिल कम किये जा सके. जिस पैसे को सरकार आयात पर खर्च करती है, वो पैसा किसानों को MSP के जरिये मिलेगा.
मक्के पर क्यों दिया एमएसपी गारंटी का प्रस्ताव
सरकार की तरफ से मक्के पर भी MSP गारंटी देने का प्रस्ताव किसानों को दिया गया था. चावल और गेहूं के बाद मक्का भारत में तीसरी सबसे महत्वपूर्ण अनाज की फसल है. अब Ethanol बनाने के लिए भी मक्के की मांग बढ़ती जा रही है. कपास की ही तरह भारत में मक्के के उत्पादन में भी एक ठहराव सा आ गया है. जिससे भारत का मक्का आयात बिल भी लगातार बढ़ता जा रहा है. यानी मक्के का उत्पादन बढ़ने से भारत का आयात बिल कम होगा और Ethanol उत्पादन भी बढ़ेगा. जिससे ईंधन सुरक्षा मजबूत होगी. यानी हर तरह से भारत आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ेगा. इससे किसानों को सीधा लाभ मिलना तय है.
दाल पर एमएसपी की गारंटी का प्रस्ताव क्यों?
दालों की बात करें, तो भारत के अधिकतर परिवारों में दाल, रात के खाने में मुख्य भोजन है. पूरे विश्व में दालों का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता होने के बावजूद, भारत को हर साल घरेलू कमी को पूरा करने के लिए कुछ दालों का आयात करना पड़ता है. चना और मूंग के मामले में भले ही देश आत्मनिर्भर है, लेकिन अरहर और मसूर जैसी अन्य दालों की कमी को पूरा करने के लिए आयात करना पड़ता है. आसान शब्दों में इस तरह समझिये कि पांच फसलों के आयात पर जितना पैसा सरकार खर्च करती है, वो सारा पैसा घरेलू किसानों को मिलने लगेगा. इससे देश का पैसा देश में रहेगा और किसानों की आय में बढोतरी होगी.