बेगम अख्‍तर से प्रभावित होकर पंडित जसराज बने शास्‍त्रीय गायक
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बेगम अख्‍तर से प्रभावित होकर पंडित जसराज बने शास्‍त्रीय गायक

मेवाती घराने (Mewati gharana) से संबंध रखने वाले पंडित जसराज प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक वी. शांताराम के दामाद थे.

फाइल फोटो

नई दिल्ली : प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक (Classical music) पंडित जसराज (Pandit Jasraj) का 90 साल की उम्र में अमेरिका के न्यू जर्सी में निधन हो गया. मेवाती घराने (Mewati gharana) से संबंध रखने वाले पंडित जसराज प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक वी. शांताराम के दामाद थे. उन्होंने 1962 में वी. शांताराम की बेटी मधुरा शांताराम से विवाह किया था. मधुरा शांताराम से उनकी पहली मुलाकात 1960 में मुंबई में हुई थी. 

  1. संगीत के मेवाती घराने से जुड़े थे पंडित जसराज
  2. 'ख़याल' गायन में ठुमरी जोड़कर नया रूप दिया
  3. कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके थे पंडित जसराज

पंडित जसराज का संबंध मेवाती घराने से था. उनका जन्म हिसार में हुआ था. जब वे चार साल के थे. तभी उनके पिता पण्डित मोतीराम का देहान्त हो गया था और उनका पालन पोषण बड़े भाई पण्डित मणीराम के संरक्षण में हुआ. वह अपने सबसे बड़े भाई पंडित मनीराम के साथ अपने एकल गायन प्रदर्शन में अक्सर शामिल होते थे. बेगम अख्तर से प्रेरित होकर उन्होंने शास्त्रीय संगीत को अपनाया. 

जसराज को 'ख़याल' गायन के पारंपरिक प्रदर्शनों के लिए जाना जाता था. उन्होंने ख़याल गायन में कुछ लचीलेपन के साथ ठुमरी, हल्की शैलियों के तत्वों को जोड़ा. संगीत के अन्य विद्यालयों या घरानों के तत्वों को अपनी गायकी में शामिल किए जाने पर शुरूआत में उनकी आलोचना भी हुई. लेकिन बाद में इसे स्वीकार कर लिया गया. 

उन्होंने 22 साल की उम्र में गायक के रूप में अपना पहला स्टेज कॉन्सर्ट किया. मंच कलाकार बनने से पहले, जसराज ने कई वर्षों तक रेडियो में काम किया. जसराज ने जुगलबंदी का एक उपन्यास रूप तैयार किया, जिसे 'जसरंगी' कहा जाता है. इसमें 'मूर्छना' की प्राचीन प्रणाली की शैली को इस्तेमाल किया जाता है. इसमें एक पुरुष और एक महिला गायक होते हैं. जो एक समय पर अलग-अलग राग गाते हैं.

 उन्हें कई प्रकार के दुर्लभ रागों को प्रस्तुत करने के लिए भी जाना जाता है. जिनमें अबिरी टोडी और पाटदीपाकी शामिल हैं. शास्त्रीय संगीत के अलावा पंडित जसराज ने अर्ध-शास्त्रीय संगीत शैलियों को लोकप्रिय बनाने के लिए भी काम किया. इनमें हवेली संगीत भी शामिल है. इसमें मंदिरों में अर्ध-शास्त्रीय प्रदर्शन किया जाता है. 

पंडित जसराज ने संगीत की  दुनिया में 80 वर्ष से अधिक बिताए. उन्होंने भारत, कनाडा और अमेरिका में संगीत सिखाया है. उनके कुछ शिष्य बड़े संगीतकार भी बने हैं. परिवार में उनकी पत्नी मधु जसराज, पुत्र सारंग देव और पुत्री दुर्गा हैं. 

उनकी प्रतिभा को देखते हुए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. उन्हें  पद्मभूषण, सुमित्रा चरत राम अवार्ड फॉर लाइफटाइम अचीवमेंट, मारवाड़ संगीत रत्न पुरस्कार, स्वाति संगीता पुरस्करम्, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, पद्म श्री, संगीत कला रत्न,  मास्टर दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार, लता मंगेशकर पुरस्कार और महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

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