Om Birla's 3 years tenure: स्पीकर के तौर पर ओम बिरला के 3 साल पूरे, सदन में इस बात पर रहा जोर
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Om Birla's 3 years tenure: स्पीकर के तौर पर ओम बिरला के 3 साल पूरे, सदन में इस बात पर रहा जोर

Om Birla's 3 years tenure: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को रविवार को अध्यक्ष पद संभाले हुए 3 साल हो गए. 

Om Birla's 3 years tenure: स्पीकर के तौर पर ओम बिरला के 3 साल पूरे, सदन में इस बात पर रहा जोर

Om Birla's 3 years tenure: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इसे लोकतंत्र में लोक आकांक्षाओं को पूरा करनेवाला काल कहा है. लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला को अध्यक्ष पद संभाले हुए रविवार 3 साल पूरे हो गए हैं. 19 जून 2019 को उन्होंने पद संभाला था. अपने 3 साल के इस संवैधानिक पद पर रहते हुए ओम बिरला ने सदन चलाने को लेकर कई उपलब्धियां हासिल की हैं.  

सबसे ज्यादा शून्यकाल में उठे मुद्दे

उनके अब तक के 3 साल के कार्यकाल में संसदीय इतिहास में उतने ही समय में अभी तक इतना न तो सदन की प्रोडक्टिविटी रही और ना ही इतने विधेयक पारित हुए. ओम बिरला ने इस काल में सबसे ज्यादा शून्यकाल में मुद्दों को उठाने का मौका दिया. साथ ही प्रश्नकाल भी अभूतपूर्व रहा. ओम बिरला ने 2019 में ही चुन कर आये कई नए सांसदों को सदन में बोलने का पूरा मौका भी दिया. कोरोना काल में सदन का संचालन पूरे प्रोटोकॉल के अनुसार संचालित किया. 

लेकिन ओम बिरला के इस कार्यकाल की एक बड़ी उपलब्धि संसद के नए भवन की आधारशिला रखना भी है. जल्द ही देश को संसद का स्वदेशनिर्मित भवन भी मिलने वाला है. कार्यकाल कैसा रहा और क्या चुनैतियां रहीं. ओम बिरला ने ZEE NEWS से अपने विचार भी साझा किए हैं...

सभी दलों की सक्रीय भागीदारी

ओम बिरला ने इस बातचीत में बताया कि सभी माननीय सदस्यों के सहयोग से, सदन के नेता प्रधानमंत्री और सभी दलों के नेता और सदस्यों की अधिकतम सक्रिय भागीदारी रही. कोविड-19 जैसी चुनौती के समय अपने संवैधानिक दायित्व को निभाते हुए देर रात तक बैठकर काम किया. इससे देश की जनता का इस संसद के प्रति और जनता के जन प्रतिनिधियों के प्रति और विश्वास बढ़ा है.

कामकाज में प्रोडक्टिविटी 106%

इसके आगे उन्होंने कहा, 'मुझे आशा है कि 3 साल के अंदर पिछले कई रिकॉर्ड माननीय सदस्यों के सहयोग से टूटे हैं. कामकाज में प्रोडक्टिविटी भी 106% रही जो सभी माननीय सदस्यों के सक्रिय सहभागिता के कारण संभव हो पाया. प्रश्नकाल में भी मेरी कोशिश रहती है कि ज्यादा से ज्यादा प्रश्न सदन के पटल पर आए क्योंकि प्रश्नकाल महत्वपूर्ण होता है जिसमें सरकार के माननीय मंत्री, माननीय सदस्यों के उठाए गए प्रश्नों के जवाब देते हैं. कई बार 20-20 प्रश्न भी आते हैं.' 

कम से कम गतिरोध, ज्यादा से ज्यादा चर्चा

इसके आगे उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण हो, बजट हो, डिमांड हो या अन्य मुद्दे, उन सभी पर सदस्यों ने बहुत सक्रियता के साथ भागीदारी निभाई. हर विषय पर आवंटित समय से ज्यादा चर्चा हुई, संवाद हुआ. इससे बेहतर परिणाम संसद के माध्यम से देश की जनता के सामने आए. मैंने सभी माननीय सदस्यों से आग्रह किया है कि संसद चर्चा और संवाद का केंद्र है. इस चर्चा और संवाद से जो भी मंथन निकलता है उसे जनता का कल्याण होता है इसलिए कम से कम गतिरोध हो ज्यादा से ज्यादा चर्चा हो. सभी के सहयोग से बातचीत कर के एक अच्छा एक सदन चले इसके लिए प्रयास किए हैं.

जितना प्रतिपक्ष सशक्त उतना लोकतंत्र मजबूत

नहीं ऐसा नहीं है प्रतिपक्ष की बातों की भूमिका नहीं होती है. जितना प्रतिपक्ष सशक्त होगा उतना ही लोकतंत्र मजबूत होगा. चाहे सत्ता पक्ष हो या प्रतिपक्ष हो, सभी सदस्यों को पर्याप्त समय, पर्याप्त अवसर, अपनी बात कहने का मौका सदन में मिले, यह मैंने प्रयास किया. संसद में गतिरोध नहीं होना चाहिए. 17वीं लोकसभा के पहले सत्र में 35 विधेयक पारित हुए. 125% प्रोडक्टिविटी रही. एक घंटा भी व्यवधान नहीं हुआ. देश की जनता यह चाहती है की हमारे करोड़ों रुपए संसद के अंदर कामकाज पर खर्च होते हैं इसीलिए संसद के अंदर कामकाज हो. 

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नेताओं से ओम बिरला की अपील

वह बोले कि मैंने सभी सदस्यों से सभी नेताओं से यह आग्रह किया है की संसद चर्चा संवाद के लिए है. कोशिश की सदन के अंदर गतिरोध न आये लेकिन कई मुद्दों पर गतिरोध बना. लेकिन आज मेरी यह अपेक्षा रहती है कि बिना गतिरोध के सदन चले. सहमति पक्ष विपक्ष के बीच हो, यह हमारे लोकतंत्र की विशेषता है. आप किसी विचारधारा के क्यों न हों लेकिन सबकी सबसे बड़ी प्रतिबद्धता, देश की जनता के प्रति होना चाहिए.

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