भारत के वो प्रधानमंत्री, जिन्हें एक बार भी नहीं मिला लाल किले से ध्वाजारोहण का मौका
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भारत के वो प्रधानमंत्री, जिन्हें एक बार भी नहीं मिला लाल किले से ध्वाजारोहण का मौका

जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह ऐसे कई प्रधानमंत्री हुए, जिन्होंने एक बार नहीं बल्कि कई बार लाल किले से देश को संबोधित किया है. 

भारत के वो प्रधानमंत्री, जिन्हें एक बार भी नहीं मिला लाल किले से ध्वाजारोहण का मौका

नई दिल्ली : राजनीति में आने के बाद हर किसी राजनेता सपना होता है वह सबसे पहले राज्य का सीएम बनें और फिर देश की सत्ता को संभालें. देश की सत्ता संभालने और प्रधानमंत्री बनने के बाद उसके मन में एक यही चाहत आती है कि कब स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाया जाए और वह दिल्ली के लाल किले से राष्ट्र को संबोधित कर सके. 

जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह ऐसे कई प्रधानमंत्री हुए, जिन्होंने एक बार नहीं बल्कि कई बार लाल किले से देश को संबोधित किया है. लेकिन आजाद भारत में दो प्रधानमंत्री ऐसे भी हुए हैं, जिन्होंने सत्ता की बागडोर तो संभाली पर लाल किले से देश को संबोधित नहीं कर सके.

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गुलजारीलाल नंदा और चंद्रशेखर के शासनकाल में इतना लंबा नहीं चल सका कि वह आजादी के पर्व पर ध्वाजारोहण कर सकते. (फाइल फोटो)

दो प्रधानमंत्री नहीं कर सके लाल किले से ध्वाजारोहण
हम बात कर रहे हैं गुलजारी लाल नंदा और चंद्रशेखर की. गुलजारी लाल नंदा पहली बार 27 मई 1964 को प्रधानमंत्री बनें. इस दौरान उनकी सरकार महज 13 दिन ही चली. इसके बाद उन्हें दोबारा 1966 में 11 दिन के लिए सरकार बनाने का मौका मिला. हालांकि दोनों ही बार 13-13 दिन सत्ता पर काबिज रहने के कारण उन्हें लाल किले पर ध्वाजारोहण करने का मौका नहीं मिला. नंदा पहली बार पंडित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद और दूसरी बार लाल बहादुर शास्त्री  के देहांत के बाद कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाए गए. लेकिन उनके दोनों कार्यकाल उतने ही समय तक सीमित रहे जब तक कि कांग्रेस ने किसी नेता को चुन नहीं लिया. 

वहीं, चंद्रशेखर देश के ऐसे दूसरे प्रधानमंत्री रहे जिन्हें लाल किले की प्राचीर से ध्वाजारोहण करने का मौका नहीं मिल सका. वह 10 नवंबर 1990 से 21 जून 1991 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे. 

इन प्रधानमंत्रियों ने बनाया रिकॉर्ड
लाल किले पर ध्वाजरोहण का रिकॉर्ड देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के नाम है. जवाहर लाल नेहरू ने 15 अगस्त 1947 से मई 1964 तक 17 बार लाल किले पर ध्वाजरोहण किया था. इसके बाद दूसरे स्थान पर इंदिरा गांधी आती है, उन्होंने अपने कार्यकाल में कुल 16 बार तिरंगा फहराया है. इसके बाद तीसरे स्थान पर भी कांग्रेस के ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नाम है. मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री रहे. इसलिए उन्होंने 10 बार लाल किले की प्राचीर से ध्वजारोहण किया. 

वहीं, कांग्रेस के अलावा बात गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री की जाए तो सबसे ज्यादा बार ध्वाजारोहण का मौका अटल बिहार वाजपेयी को मिला है. पहले कार्यकाल में अटल बिहार वाजपेयी एक बार फिर लाल किले पर तिरंगा नहीं फहरा पाए, लेकिन दूसरी बार अटल बिहारी को 6 बार ध्वाजारोहण का मौका मिला. अटल बिहारी वाजपेयी एक मात्र ऐसे गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने एक क्रम में 6 बार ध्वाजारोहण किया है.  

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