SC का UP सरकार से सवाल: आप भगवान कृष्ण के नाम पर हजारों पेड़ कैसे गिरा सकते हैं?
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SC का UP सरकार से सवाल: आप भगवान कृष्ण के नाम पर हजारों पेड़ कैसे गिरा सकते हैं?

चीफ जस्टिस एसए बोबडे (Sharad Arvind Bobde) ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सड़कें पेड़ों के पास से घूमकर क्यों नहीं जा सकती हैं? इससे कोई नुकसान तो नहीं है, केवल गति ही कम होगी और अगर स्पीड कम होगी तो इससे दुर्घटनाएं भी कम होंगी.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: विकास के नाम पर पर्यावरण से होने वाले खिलवाड़ पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मथुरा में प्रस्तावित कृष्ण गोवर्धन रोड प्रोजेक्ट पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि भगवान के नाम पर पेड़ों को नहीं गिराया जा सकता. मुख्य न्यायाधीश (CJI) एसए बोबडे ने यूपी सरकार से कहा कि आप कृष्ण के नाम पर हजारों पेड़ नहीं गिरा सकते हैं. दरअसल, सड़क के लिए हजारों पेड़ काटने के खिलाफ अदालत में याचिका दायर की गई है. जिस पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने यह टिप्पणी की.

  1. कृष्ण गोवर्धन रोड प्रोजेक्ट पर की टिप्पणी
  2. रोड के लिए हजारों पेड़ों को काटा जाना है 
  3. सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ दायर हुई है याचिका

इससे तो Speed ही कम होगी 
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे (Sharad Arvind Bobde) ने कहा कि सड़कें पेड़ों के पास से घूमकर क्यों नहीं जा सकती हैं? इससे कोई नुकसान तो नहीं है, केवल गति ही कम होगी और अगर स्पीड कम होगी तो इससे दुर्घटनाएं भी कम होंगी. इससे लोगों की जान बचेगी और यह हर मामले में ज्यादा सुरक्षित रहेगा. सीजेआई ने यूपी सरकार से कहा, ‘जीवित पेड़ों का मूल्यांकन केवल लकड़ी के मूल्य के आधार पर नहीं किया जा सकता है. पेड़ हमें ऑक्सीजन देते हैं, इसे भी मूल्यांकन में शामिल किया जाना चाहिए’. 

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Environment को नुकसान नहीं होगा 
 

चीफ जस्टिस ने कहा कि यह तो साफ है कि सड़क के रास्ते में आने वाले पेड़ों को अगर नहीं काटा गया तो सड़क सीधी नहीं बनेगी और गाड़ियों की रफ़्तार पर असर पड़ेगा, लेकिन यह हानिकारक तो नहीं है. सुनवाई के दौरान PWD ने भरोसा दिलाया है कि वो काटे गए पेड़ों की जगह दूसरे स्थान पर पौधारोपण करके नुकसान की भरपाई करेगा और इस तरह पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा. इस पर CJI ने कहा कि अदालत केवल आंकड़ों वाले हर्जाने को स्वीकार नहीं कर सकती, क्योंकि सरकार और विभाग दोनों ने ही पेड़ों की प्रकृति के बारे में नहीं बताया है कि ये झाड़ियां हैं या फिर बड़े पेड़.

आपने उम्र भी नहीं बताई?
 

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि पेड़ों की उम्र के बारे में भी जानकारी नहीं दी गई है. यदि कोई 100 साल की उम्र वाला पेड़ काटा जाता है, तो स्वाभाविक तौर पर दूसरी जगह पौधारोपण करके उसकी भरपाई नहीं की जा सकती. सुप्रीम कोर्ट मामले में अब चार हफ्ते बाद सुनवाई करेगा. गौरतलब है कि विकास के नाम पर पेड़ों की कटाई आम है. कई शहरों में मेट्रो प्रोजेक्ट के चलते हजारों पेड़ों को काटा जा रहा है. इसमें वे पेड़ भी शामिल हैं, जो सालों से लोगों को छाया दे रहे थे. बता दें कि मथुरा में कृष्ण-गोवर्धन रोड परियोजना के लिए 2940 वृक्षों को काटने की अनुमति देने का अनुरोध किया गया है.

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