Lok Sabha Chunav: लोकसभा चुनाव से पहले CJI चंद्रचूड़ ने जजों और वकीलों को कौन सा गुरुमंत्र दे दिया?
Advertisement
trendingNow12192226

Lok Sabha Chunav: लोकसभा चुनाव से पहले CJI चंद्रचूड़ ने जजों और वकीलों को कौन सा गुरुमंत्र दे दिया?

Lok Sabha Election 2024: देश में लोकसभा चुनाव 2024 का काउंटडाउन शुरू हो चुका है. चुनाव में महज दो हफ्ते ही बचे हैं. चुनावों से पहले भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने इस बात पर जोर दिया कि वकीलों और न्यायाधीशों को पूर्ण समर्पण के साथ कैसे काम करना चाहिए.

Lok Sabha Chunav: लोकसभा चुनाव से पहले CJI चंद्रचूड़ ने जजों और वकीलों को कौन सा गुरुमंत्र दे दिया?

Lok Sabha Election 2024: देश में लोकसभा चुनाव 2024 का काउंटडाउन शुरू हो चुका है. चुनाव में महज दो हफ्ते ही बचे हैं. चुनावों से पहले भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने इस बात पर जोर दिया कि वकीलों और न्यायाधीशों को पूर्ण समर्पण के साथ कैसे काम करना चाहिए. उनकी निष्ठा केवल भारत के संविधान के प्रति होनी चाहिए. सीजेआई ने न्यायाधीशों के निष्पक्ष, गैर-पक्षपातपूर्ण होने की जरूरतों पर जोर दिया.

वफादारी संविधान के प्रति..

हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के शताब्दी वर्ष समारोह में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमारे जैसे जीवंत और तर्कपूर्ण लोकतंत्र में, अधिकांश व्यक्तियों की एक राजनीतिक विचारधारा या झुकाव होता है. हर कोई राजनीति से जुड़ा हुआ है और वकील कोई अपवाद नहीं हैं. ऐसे में बार के सदस्यों के लिए किसी की सर्वोच्च निष्ठा पक्षपातपूर्ण हितों के साथ नहीं बल्कि अदालत और संविधान के साथ होनी चाहिए.

डॉ. बीआर अंबेडकर को याद किया

बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में अपने समय को याद करते हुए, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, “नागपुर हमारे गणतंत्र के संस्थापकों में से एक, भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर के जीवन में महत्व रखता है. यहीं पर बाबासाहेब ने बौद्ध धर्म अपनाया था. उनके अंतिम अवशेष दीक्षाभूमि स्तूप के केंद्रीय गुंबद में स्थापित हैं. उन्होंने कहा कि यह साल न केवल बार एसोसिएशन की शताब्दी का वर्ष है, बल्कि डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर द्वारा अपनी वकालत शुरू करने के 100 साल पूरे होने का भी प्रतीक है.

..न्यायपालिका के कंधे चौड़े हैं

सीजेआई ने कहा कि न्यायपालिका के कंधे चौड़े हैं और वह प्रशंसा के साथ ही आलोचना भी स्वीकार कर सकती है. लेकिन लंबित मुकदमों या फैसलों पर वकीलों की टिप्पणी बहुत चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि बार के पदाधिकारियों और सदस्यों को न्यायिक निर्णयों पर प्रतिक्रिया देते वक्त यह नहीं भूलना चाहिए कि वे अदालत के अधिकारी हैं, आम आदमी नहीं.

..आम आदमी की तरह टिप्पणी नहीं करनी चाहिए

उन्होंने कहा कि एक संस्था के रूप में बार न्यायिक स्वतंत्रता, संवैधानिक मूल्यों और अदालत की प्रतिष्ठा की रक्षा करने के लिए जरूरी है. उन्होंने कहा कि बार एसोसिएशन के सदस्य और पदाधिकारी होने के नाते वकीलों को अदालत के निर्णयों पर प्रतिक्रिया देते समय आम आदमी की तरह टिप्पणी नहीं करनी चाहिए.

Trending news