Haji Shahzad Ali: कौन है हाजी शहजाद, जिसका 20 करोड़ी महल बन गया मिट्टी, ऐसी है क्राइम कुंडली
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Haji Shahzad Ali: कौन है हाजी शहजाद, जिसका 20 करोड़ी महल बन गया मिट्टी, ऐसी है क्राइम कुंडली

Chhatarpur Bulldozer Action: जिस महल में बैठकर ये शख्स पंचायत लगाया करता था. आस-पास के लोगों पर रौब झाड़ा करता था. इलाके में अपना दबदबा बनाये रखने के लिए पुलिस-प्रशासन पर बेवजह दबाव बनाता था. उस महल को एमपी के मुख्यमंत्री मोहन यादव के 4 बुलडोजरों ने मिट्टी में मिला दिया.

Haji Shahzad Ali: कौन है हाजी शहजाद, जिसका 20 करोड़ी महल बन गया मिट्टी, ऐसी है क्राइम कुंडली

Mohan Yadav Madhya Pradesh: जैसा रुतबा, जैसी शेखी पश्चिम बंगाल में शेख शाहजहां की थी ना.वैसी ही शेखी मध्य प्रदेश के छतरपुर में हाजी शहजाद अली की है. वही हाजी, गुरुवार को जिसके आलीशान महल पर बुलडोजर चल गया. वही हाजी, जिसकी महंगी गाड़ियां बुलडोज हो गईं. वही हाजी जिसने पुलिस पर पत्थर फेंके थे. पुलिस अब उस पत्थरबाज हाजी की तलाश में जुटी है क्योंकि महल और कार के बाद अब हाजी की ही मरम्मत होनी है. वैसे, ज़ी न्यूज़ की टीम ने आज उस हाजी की पूरी कुंडली निकाली है.

हाजी के महल का टूटना मतलब उसके अहं का टूटना है. बुलडोजर ने मध्य प्रदेश के छतरपुर में 20 करोड़ रुपये के इस हाजी महल को ही नहीं तोड़ा बल्कि हाजी शहजाद की दबंगई वाले गुरूर को भी तोड़ दिया.

जिस महल में बैठकर ये शख्स पंचायत लगाया करता था. आस-पास के लोगों पर रौब झाड़ा करता था. इलाके में अपना दबदबा बनाये रखने के लिए पुलिस-प्रशासन पर बेवजह दबाव बनाता था. उस महल को एमपी के मुख्यमंत्री मोहन यादव के 4 बुलडोजरों ने मिट्टी में मिला दिया.

पीले पंजे में गाड़ियां भी तबाह

सिर्फ इतना ही नहीं, हाजी के कैम्पस में तीन महंगी गाड़ियां भी लगी थीं फॉर्च्यूनर, सफारी और स्कॉर्पियो. बुलडोजर के पीले पंजे ने इन्हें भी चकनाचूर कर दिया. इन्हीं गाड़ियों से कभी रौब झाड़ते हुए शहर में निकला करता था ये शख्स जो पिछले 24 घंटे से पूरी फैमिली के साथ फरार है.

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अब सवाल है कि पुलिस पर पत्थर फेंकने वाला हाजी शहजाद अली कहां छिपा है ? जिस तरह पत्थरबाजों की परेड कराई जा रही है, नारे लगवाए जा रहे हैं. इसी तरह पकड़े जाने के बाद क्या आरोपी हाजी की भी परेड निकाली जाएगी?

पुलिस पर पत्थरबाजी करने के 24 घंटे के अंदर जिस तरह पुलिस ने हाजी पर एक्शन लिया है, उससे वो सहमा है. उसके तेवर कैसे बदल गए, ये भी आपको हम दिखाएंगे लेकिन पहले उसकी दबंगई के कुछ किस्से तो जान लीजिए.

इलाके में बोलती थी तूती

ज़ी मीडिया की टीम को पता चला है कि हाजी छतरपुर के इस मुस्लिम बहुल इलाके में अपनी पंचायत लगाया करता था. दहशत ऐसी थी कि उसका फैसला लोगों को मानना ही होता था और हां, उसकी मर्जी के बिना शिकायत लेकर पुलिस के पास जाना मना था.

छतरपुर के वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र व्यास के ने कहा, 'जमीन के काम करना..लोगों की पंचायत करना..ये सदर भी बन गए थे. ये समाज की पंचायतें बुलाना..किसी पर दबाव डालना...इनपर जमीन का या पंचायतों का कोई मामला नहीं आया है. इनकी दहशत के कारण लोग थाने तक नहीं पहुंचते थे.'

कई लोगों की जमीन पर था अवैध कब्जा

उसकी पहचान इलाके में एक भूमाफिया की भी थी. दावा किया जा रहा है कि छतरपुर में उसने कइयों की जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया और विरोध करने वालों को इस तरह धमकाता था कि शिकायत करने की हिम्मत नहीं होती थी. पूरे इलाके में हाजी अली की इजाजत के बिना कोई भी आदमी रेत, जमीन, टायर और ऑयल का कारोबार नहीं कर सकता है.

ऐसा इसलिए क्योंकि हाजी अली का पूरा परिवार इन कारोबारों से जुड़ा है. हाजी शहजाद अली चार भाई हैं.

आजाद अली सबसे बड़ा है जो कांग्रेस का नेता है और पार्षद है. दूसरे नंबर पर खुद हाजी अली है जो कांग्रेस से जुड़ा है. छतरपुर में कांग्रेस का जिला उपाध्यक्ष रह चुका है. इसके अलावा तीसरा भाई रेत माफिया है और चौथा टायर और ऑयल का बिजनेस करता है.

फिलहाल सारे लोग हैं फरार

इस वक्त ये सब के सब फरार हैं क्योंकि इनसभी के खिलाफ पुलिस पर पत्थर फेंकने का आरोप है और मामला भी दर्ज है.

अब सवाल है आखिर हाजी अली इतना दबंग कैसे बना? इसका जवाब पॉलिटिक्स में है. जैसा कि हमने पहले ही बताया कि हाजी अली और उसका बड़ा भाई कांग्रेस से जुड़ा है. 

जब एमपी में कांग्रेस की सरकार थी, उस वक्त यानी साल 2018 से 2020 के बीच इसका रुतबा बढ़ा. कांग्रेस के पूर्व विधायक रहे शंकर प्रताप सिंह उर्फ मुन्ना राजा से हाजी ने नजदीकी बढ़ाई और उसके बाद इलाके में इसकी तूती बोलने लगी. 

उसी दौरान इसने ये महल बनाना शुरू किया. इस महल की लागत कल तक 4 करोड़ की बताई जा रही थी.लेकिन अब कहा जा रहा है कि इस तीन मंजिला महल को बनाने में 20 करोड़ रुपये लगे थे. 20 हजार वर्गफीट में बना ये महल टूट चुका है और अब हाजी अली की अकड़ भी टूट चुकी है.

(छतरपुर से हरीश गुप्ता की रिपोर्ट)

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