मार्च में लॉकडाउन के चलते हैं प्रदेश के सेक्स वर्करों की आमदनी बंद हो गई थी. गुजरात के एक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में इनकी परेशानियों को लेकर याचिका दायर की थी. इस पर अक्टूबर 2020 में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकारों को आदेश दिया, कि सेक्स वर्करों की स्थिति ठीक करने के लिए उपाय किए जाए.
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ग्वालियर: कोरोना संक्रमण के दौर में आर्थिक तंगी का सामना करने वाले सेक्स वर्करों को अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सस्ता राशन मिलने का रास्ता साफ हो गया है. बिना पहचान उजागर किए अब देशभर के सेक्स वर्करों को राशन वितरण प्रणाली से जोड़ा जा रहा है. इसके लिए गरीबी रेखा के नीचे बीपीएल की तरह एक नई श्रेणी बना दी गई है.
बता दें कि मध्य प्रदेश में 40132 पुरुष और महिला सेक्स वर्करों को चिन्हित किया गया है इनमें ट्रांसजेंडर भी शामिल है वही बात ग्वालियर की करी जाए तो लगभग 1500 सेक्स वर्कर को इसका लाभ मिल सकेगा.
एनजीओ पहुंचाएगा राशन
बिना पहचान उजागर किए घर पर राशन पहुंचाने का काम हर जिले में सेक्स वर्कर के हितों में काम करने वाली एनजीओ को दिया जाएगा. हर जिले में अलग-अलग एनजीओ के पास जिम्मेदारी है. यह डेटा बेस खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम को राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी के माध्यम से उपलब्ध कराया गया है.
लॉकडाउन के चलते आमदनी बंद हुई
मार्च में लॉकडाउन के चलते हैं प्रदेश के सेक्स वर्करों की आमदनी बंद हो गई थी. गुजरात के एक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में इनकी परेशानियों को लेकर याचिका दायर की थी. इस पर अक्टूबर 2020 में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकारों को आदेश दिया, कि सेक्स वर्करों की स्थिति ठीक करने के लिए उपाय किए जाए. सुप्रीम कोर्ट ने सेक्स वर्करों की पहचान गुप्त रखने के आदेश विशेष तौर पर दिए थे. जिसमे कहा गया कि इनको राशन मिलेगा इन की पात्रता पर्ची भी बनेगी लेकिन आधार में इनका डाटा लिंक करने की जरूरत नहीं होगी.
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ग्वालियर के दो एनजीओ को काम
ग्वालियर जिले में पुरुष, महिला, ट्रांसजेंडर सेक्स वर्करों को राशन पहुंचाने का काम 2 एनजीओ को दिया गया है. इसमें आदर्श समाज सेवा समिति और संकल्प समाज सेवा संस्था शामिल है. यह संस्था पहले से सेक्स वर्करों के लिए कार्य करने के क्षेत्र में रजिस्टर्ड हैं और राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी की ओर से प्रदेश भर में अलग-अलग जिलों में एनजीओ के नाम दिए गए है.
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