सागर शहर में स्थापित पुरातत्व संग्रहालय एतिहासिक विरासत को समेटे हुए है.यहां 6वीं सदी से 18वीं सदी तक की बेशकीमती पत्थर की प्रतिमाएं व अन्य सामग्री महफूज हैं.
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अतुल अग्रवाल/सागर: मध्य प्रदेश के सागर शहर में स्थापित पुरातत्व संग्रहालय एतिहासिक विरासत को समेटे हुए है.यहां 6वीं सदी से 18वीं सदी तक की बेशकीमती पत्थर की प्रतिमाएं व अन्य सामग्री महफूज हैं.जिनमे दुर्लभ पत्थर की एक नाव भी शामिल है. हालांकि प्रचार-प्रसार के अभाव में इसकी जानकारी लोगों तक नहीं पहुंच पा रही हैं.
यहां तैरती है पत्थर की नाव
गौरतलब है कि संग्रहालय में एक पत्थर की नाव है, जिसका वजन पांच किलो है. बताया जाता है कि इसका निर्माण 19वीं शताब्दी में हुआ था. यहां नाव को बाहर रखने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं, जिसके कारण इसे अंदर रखा गया है. 36 सेमी लंबी इस नाव की ऊंचाई व चौड़ाई 7 सेमी है, जो 800 ग्राम वजन ढो सकती है. इस नाव को एक पत्थर की कटिंग कर बनाया गया है. पत्थर की नाव में यही विशेषता है कि यह पानी में तैरती है.
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सन् 1991 में संग्रहालय को दान में मिली थी नाव
पुरातत्व संघ संग्रहालय के वरिष्ठ मार्गदर्शक राकेश मिश्रा बताते हैं कि पत्थर की यह नाव संग्रहालय के लिए वर्ष 1991 में दान में मिली थी. यह नाव भूरे खान की थी जो उन्होंने संग्रहालय को दान दी थी. जो पिछले 30 वर्षों से संग्रहालय में रखी हुई है.
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