विधानसभा चुनाव की आहट के बीच सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और विपक्षी दल कांग्रेस एक-दूसरे पर हमले का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहते हैं.
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नई दिल्ली/भोपाल: विधानसभा चुनाव की आहट के बीच सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और विपक्षी दल कांग्रेस एक-दूसरे पर हमले का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहते हैं. बीजेपी महारानी लक्ष्मीबाई के बलिदान दिवस की आड़ में सिंधिया राजघराने पर निशाना साधने की कोशिश की है. राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीते दिनों बच्चों से संवाद के दौरान महारानी लक्ष्मीबाई की बहादुरी और उनके साथ हुए विश्वासघात का जिक्र किया और सिंधिया राजघराने का नाम लिए बगैर हमला बोला. उन्होंने कहा था कि महारानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों से संघर्ष करते हुए ग्वालियर पहुंच गई थीं, लेकिन अपने लोगों ने अंग्रेजों का साथ दिया, जिससे रानी लक्ष्मीबाई को बलिदान देना पड़ा था.
गौरतलब है कि जनसंघ से लेकर बीजेपी की स्थापना और विकास में राजघराने की विजयाराजे सिंधिया की अहम भूमिका रही है. इसी घराने से नाता रखने वाली और विजयाराजे की दो बेटियां वसुंधरा राजे सिंधिया और यशोधरा राजे सिंधिया अब भी बीजेपी में हैं और उनकी रिश्तेदार माया सिंह राज्य सरकार में मंत्री हैं. वहीं, दूसरी ओर ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में हैं और कांग्रेस के भावी मुख्यमंत्री के दावेदार भी हैं. ज्योतिरादित्य पर हमले की कोशिश में भाजपा पूरे खानदान को ही निशाने पर रख रही है.
वहीं लोकतांत्रिक जनता दल के नेता गोविंद यादव का कहना है कि बीजेपी और कांग्रेस के लिए सत्ता पहले, समाज और देश बाद में है. यही कारण है कि बीजेपी सिंधिया राजघराने पर हमला कर रही है. यह वह राजघराना है, जिसके सहयोग से बीजेपी पली-बढ़ी है. उन्होंने कहा कि बीजेपी को यह भी बताना चाहिए कि देश की आजादी में उसके किस नेता ने योगदान दिया. राजघराने ने जो किया, वही तो बीजेपी या इस विचारधारा से जुड़े लोग भी अंग्रेजों के लिए करते रहे हैं, इसे उन्हें भूलना नहीं चाहिए. राज्य सरकार के मंत्री और सिंधिया राजघराने के प्रखर विरोधी के तौर पर पहचाने जाने वाले जयभान सिंह पवैया ने कहा कि रानी लक्ष्मीबाई झांसी से कूच कर ग्वालियर पहुंचीं, लेकिन ग्वालियर की सिंधिया रियासत में उन्हें प्रवेश करने से रोक दिया गया, तोपें लगा दी गईं और उन दिनों आजादी के सेनानियों को तोपों का सामना करना पड़ा. रानी जहां वीरगति को प्राप्त हुईं, उस स्थान पर वर्ष 2000 से बलिदान मेला (17 एवं 18 जून) लगाया जा रहा है.
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का कहना है कि किसी की देशभक्ति और राष्ट्रभक्ति पर उंगली उठाने का बीजेपी को कोई नैतिक अधिकार नहीं है. उसे यह बताना चाहिए कि वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन का उसके पितृ संगठन आरएसएस ने क्यों विरोध किया था. उन्होंने कहा कि बीजेपी को बनाने और बढ़ाने वाली विजयाराजे सिंधिया थीं. अगर बीजेपी वास्तव में देशभक्त है तो, सबसे पहले उसे वसुंधरा और यशोधरा को बीजेपी से बाहर करना चाहिए, साथ ही विजयराजे ने जो उसकी मदद की, उसे सूद सहित वापस लौटाए.