कौन थे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक गुरु चंदूलाल चंद्राकर, जिनकी पुण्यतिथि पर सीएम कर रहे हैं याद
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कौन थे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक गुरु चंदूलाल चंद्राकर, जिनकी पुण्यतिथि पर सीएम कर रहे हैं याद

दुर्ग से 5 बार के सांसद, नामी पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी रहे चंदूलाल चंद्राकर की आज पुण्यतिथि है. वो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक गुरू भी रहे हैं.

कौन थे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक गुरु चंदूलाल चंद्राकर, जिनकी पुण्यतिथि पर सीएम कर रहे हैं याद

रायपुर: छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले साथ केंद्र सरकार में महत्वपूर्ण विभागों में मंत्री रहे चंदूलाल चंद्राकर की आज पुण्यतिथि है. वो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक गुरु भी थे. सीएम बघेल ने अपने निवास कार्यालय में छत्तीसगढ़ के प्रखर पत्रकार और पूर्व सांसद स्वर्गीय चंदूलाल चंद्राकर की पुण्यतिथि पर उनको याद किया और उनके चित्र पर पुष्प भी अर्पित किए. 

सीएम ने उन्हें याद करते हुए कहा कि कि चंदूलाल जी ने अपने प्रखर व्यक्तित्व और निर्भीक पत्रकारिता से छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया, उनके अमूल्य विचार नई पीढ़ी को हमेशा प्रेरित करते रहेंगे. वे निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकारिता के लिए भी जाने जाते हैं. कई ज्वलंत मुद्दों पर उन्होंने प्रखरता और निडरता से आवाज उठाई थी.

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कौन हैं चंदूलाल चंद्राकर
चंदूलाल चंद्राकर एक पत्रकार, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और राजनेता थे. उनका जन्म 1 जनवरी, 1921 को राजनांदगांव के अछोटी में हुआ था. चंदूलाल की प्राथमिक शिक्षा सिरसाकला और मैट्रिक नागपुर से हुई. उच्च शिक्षा में उन्होंने  बीए की परीक्षा राबर्टसन कॉलेज जबलपुर से पास की.

महात्मा गांधी ने की थी प्रशंसा
कॉलेज के दौरान ही वो राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़े और साल 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के कारण गिरफ्तार किए गए. हालांकि परीक्षा के समय उन्हें रिहा कर दिया गया. पढ़ाई पूरी करने के बाद वे बनारस में दैनिक 'आज' के साथ जुड़े. इसके बाद वो 'आर्यावर्त' के संवाददाता बने. कांग्रेस के मुंबई अधिवेशन के कवरेज के लिए महात्मा गांधी ने उनकी प्रशंसा की थी.

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पत्रकारिता के कई रिकॉर्ड उनके नाम
'हिंदुस्तान टाइम्स' के संपादक देवदास गांधी ने अपने पिता महात्मा गांधी के आदेश पर चंदूलाल चंद्राकर को अपने पत्र में काम करने के लिए आमंत्रित किया था. वर्ष 1946 में वो 'हिंदुस्तान टाइम्स' के सहायक संपादक, बाद में सिटी रिर्पोटर फिर संपादक बने. इसके बाद उन्होंने 1964 से 1980 तक प्रमुख संपादक का पद संभाला. महात्मा गांधी हत्याकांड मुकदमे के वे विशेष संवाददाता थे. उन्होंने 10 ओलम्पिक और 9 एशियायी खेलों की रिर्पोटिंग की है. वो तीन बार पेरस एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भी रहे.

5 बार रहे सांसद
वह दुर्ग से पांच बार सांसद रहे हैं. 1970 में पहली बार उन्होंने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की थी. इसके बाद वह पांच बार चुनाव जीते. केंद्र की सरकार में चंदूलाल चंद्राकर पर्यटन, नागरिक उड्डयन, कृषि, ग्रामीण जैसे महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे. इसके अलावा वो छत्तीसगढ़ निर्माण के लिए बने सर्वदलीय मंच के अध्यक्ष रहे हैं और महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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संगठन में निभाई बड़ी जिम्मेदारी
कुछ समय के लिए वो भिलाई में स्टील कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष भी रहे. इस दौरान उन्होंने मजदूरों के हक की लड़ाई लड़ी. 1975 में इंटक के एमपी प्रदेश उपाध्यक्ष बनाए गए थे. चंदूलाल चंद्रकार को 1982 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के महासचिव बनाया गया. इसके साथ 1993-95 तक वह पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रहे. 

चंद्रकार के नाम पर है फैलोशिप और पुरस्कार
चंदूलाल चंद्रकार का 2 फरवरी 1995 को उनका निधन हो गया. राजनीति में आने से पहले चंद्राकर की गिनती एमपी-छत्तीसगढ़ के बड़े पत्रकारों में होती थी. छत्तीसगढ़ की सरकार उनकी याद में पत्रकारिता के क्षेत्र में चंदूलाल चंद्राकर फैलोशिप देती है. साथ ही पत्रकारिता के क्षेत्र में चंदूलाल चंद्राकर स्मृति पत्रकारिता पुरस्कार भी दिया जाता है.

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