15 हजार के ल‍िए हॉस्‍प‍िटल ने मह‍िला के शव को बनाया बंधक, पर‍िजनों पर नहीं थे पैसे
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15 हजार के ल‍िए हॉस्‍प‍िटल ने मह‍िला के शव को बनाया बंधक, पर‍िजनों पर नहीं थे पैसे

Dead body held hostage: छत्‍तीसगढ़ में मानवता को शर्मसार करने वाला एक मामला सामने आया है जहां हॉस्‍पिटल प्रबंधन ने शव को ही बंधक बना ल‍िया. एक मह‍िला की मौत के बाद ब‍िल देने के ल‍िए पर‍िजनों के पास पैसे नहीं बचे तो हॉस्‍पिटल प्रबंधन ने शव को देने से इनकार कर द‍िया था. 

हॉस्‍प‍िटल प्रबंधन ने शव को बंधक बनाया.

श्रीपाल यादव/रायगढ़: महज 15 हजार रुपये के ल‍िए रायगढ़ के फोर्टिस जिन्दल हॉस्पिटल ने शव को बंधक बना ल‍िया ज‍िसका सनसनीखेज मामला सामने आया है. पहले तो स्मार्ट कार्ड से ईलाज करने से मना किया और जब परिजनों ने कुछ रकम जमा करवाई तो ईलाज के दौरान महिला की ही मौत हो गई. 

15 हजार रुपये जमा करने के लिए कहा गया
महिला की मौत की खबर परिजनों को सुबह दी गई और शव को ले जाने के लिए 15 हजार रुपये जमा करने के लिए कहा गया. जब गरीब परिजन रुपये जमा नहीं कर पाए तो अस्पताल प्रबंधन ने शव को ही बंधक बना लिया. जिले के CHMO डॉक्टर एसएन केशरी के दखल के बाद शव को छोड़ा गया. 

ईलाज के दौरान मह‍िला की मौत 

रायगढ़ जिले के घरघोड़ा अंतर्गत  ग्राम छोटे गुमला की विमला बाई महंत को बीती रात तबीयत बिगड़ जाने के बाद रायगढ़ के फोर्टिस जिन्दल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. वहां ईलाज के दौरान महिला की मौत हो गई. 

शव को बनाया बंधक 
महिला की मौत के बाद परिजनों को रुपये जमा करने के लिए कहा गया. जब परिजन रुपये जमा नहीं कर पाए तब शव को बंधक बना लिया गया. परिजन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के पास इसकी शिकायत करने अधिकारी के घर पहुंच गए जिसके बाद शव को बिना पैसा लिए  छोड़ा गया. 

सीएमएचओ को देना पड़ा दखल 
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि जिंदल अस्पताल में शासकीय योजनाओं के साथ तहत स्मार्ट कार्ड से ईलाज नहीं किया गया ज‍िसकी शिकायत मिली है. फिलहाल पूरे मामले में अधिकारी के दखल के बाद महिला के शव को परिजनों को सौंपा गया. 

पहले भी आ चुके हैं ऐसे मामले 
रायगढ़ का जिंदल अस्पताल अपने इसी तरह के कारनामों की वजह से हमेशा सुर्खियों मे बना  रहता है. अस्पताल प्रबंधन ने पूरे मामले से पूछा गया तो मामले से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि उनके द्वारा इस तरह के कोई भी कृत्य नहीं किया गया है. किसी के शव को भी पैसे के लिए नहीं रोका गया है बल्कि अस्पताल प्रबंधन से बिना चर्चा किए परिजन मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी के पास शिकायत करने पहुंच गए थे. 

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