राजद्रोह के मामले ने बढ़ाई कालीचरण की मुश्किलें! जानिए क्या है Sedition Law?
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राजद्रोह के मामले ने बढ़ाई कालीचरण की मुश्किलें! जानिए क्या है Sedition Law?

राजद्रोह (Sedition) एक गैर जमानती अपराध है. ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर आरोपी को तीन साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है.

फाइल फोटो

प्रिया सिन्हा: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर अभद्र टिप्पणी के मामले में कालीचरण महाराज की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं. रायपुर की सेशन कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी. अब उनके वकील हाईकोर्ट जाने की तैयारी में हैं. दरअसल कालीचरण पर दर्ज मुकदमों में कई गंभीर धाराएं हैं. इसमें से राजद्रोह (Sedition) सबसे गंभीर है. आज हम आपको बताएंगे की आखिरकार राजद्रोह कानून (Sedition Law) क्या है?

जानिए क्या है राजद्रोह कानून?
भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति सरकार-विरोधी सामग्री लिखता या बोलता है या ऐसी सामग्री का समर्थन करता है, राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करने के साथ संविधान को नीचा दिखाने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 124 ए के तहत राजद्रोह का मामला दर्ज हो सकता है. इसके अलावा अगर कोई शख्स देश विरोधी संगठन से अनजाने में भी संबंध रखता है या किसी भी प्रकार से सहयोग करता है तो वो भी राजद्रोह के दायरे में आता है.

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कितनी हो सकती है सजा?
राजद्रोह एक गैर जमानती अपराध है. ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर आरोपी को तीन साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है. इसके अतिरिक्त इसमें जुर्माने का भी प्रावधान है. अगर कोई व्यक्ति राजद्रोह के मामले में दोषी पाया जाता है तो सरकारी नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर सकता है. यहां तक की उसका पासपोर्ट भी रद्द हो जाता है.

कब लाया गया था राजद्रोह कानून?
राजद्रोह का ये कानून ब्रिटिश काल का है. इसे 1870 में लाया गया था. ब्रिटेन में हालांकि इस कानून की काफी आलोचना हुई जिसके बाद 1977 में इसे ब्रिटेन में खत्म भी कर दिया गया. हालांकि भारत में ये अभी भी लागू है. 

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क्या राजद्रोह कानून (Sedition Law) खत्म हो सकता है?
जुलाई 2019 में केंद्र सरकार ने संसद में कहा था कि वह आईपीसी की धारा-124 (ए) यानी राजद्रोह कानून को खत्म नहीं करेगी. उसका कहना था कि राष्ट्र-विरोधी, पृथकतावादी और आतंकवादी तत्वों से प्रभावकारी ढंग से निपटने के लिए इस कानून की जरूरत है.

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