क्या इश्क है... साथ जीने-मरने की खाई कसम, जिंदगी भर का साथ फिर एक ही चिता पर पति-पत्नी का अंतिम संस्कार
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क्या इश्क है... साथ जीने-मरने की खाई कसम, जिंदगी भर का साथ फिर एक ही चिता पर पति-पत्नी का अंतिम संस्कार

Korba News: छत्तीसगढ़ के कोरबा में जिस दंपति ने साथ जीने-मरने की कसम खाई, उसे पूरा भी किया. दंपति ने जीवन तो साथ-साथ जिया ही. उनका अंतिम संस्कार भी एक ही चिता पर हुआ. पढ़ें पूरी खबर-

क्या इश्क है... साथ जीने-मरने की खाई कसम, जिंदगी भर का साथ फिर एक ही चिता पर पति-पत्नी का अंतिम संस्कार

Chhattisgarh News: कहते हैं जोड़ियां स्वर्ग से बनकर आती हैं. जिंदगी और मौत का समय भी ऊपर से लिखकर आता है. लेकिन ऐसे जोड़े विरले ही होते हैं, जो साथ जीने-मरने की तकदीर लिखवाकर धरती पर आते हैं. ऐसी ही जोड़ी छत्तीसगढ़ के कोरबा की रही. यहां एक पत्नी अपने पति की मृत्यु का सदमा नहीं सह पाई और 24 घंटे के अंदर ही उसने भी दम तोड़ दिया. प्यार का मिसाल कायम करने वाली इस जोड़ी की एक साथ अर्थी और शवयात्रा निकाली गई. साथ ही अंतिम संस्कार भी एक ही चिता पर हुआ.   

कोरबा की विरला जोड़ी
कोरबा जिले के दीपका स्थित प्रगतिनगर कॉलोनी निवासी वशिष्ठ नारायण सिंहा और रमावती देवी की जोड़ी ने प्यार की मिसाल पेश की है. पति वशिष्ठ नारायण की मौत के बाद 24 घंटे के अंदर ही पत्नी रमावती देवी ने भी दम तोड़ दिया. 72 साल पहले शादी के दिन दोंनों ने साथ जीने-मरने की कसम खाई और उसे पूरा कर दुनिया से विदा हो गए. प्यार की मिसाल कायम करने वाली दंपती की अर्थी और शवयात्रा भी एक साथ निकाली गई. इतना ही नहीं, दोनों का अंतिम संस्कार भी एक ही चिता पर हुआ. 1951 में वैवाहिक जीवन के बंधे दंपत्ति ने 72 वर्ष साथ बिताए और एक साथ दुनिया को अलविदा कह गए, जिसके बाद पूरे क्षेत्र में इस घटना की चर्चा हो रही है.

दरअसल मूलतः बिहार निवासी वशिष्ठ नारायण सिंहा परिवार सहित कई सालों कोरबा जिले के दीपका प्रगतिनगर कॉलोनी में रहते थे. उम्रदराज वशिष्ठ नारायण काफी समय से बीमार चल रहे थे. लंबे समय से उनका उपचार भी किया जा रहा था. इसी दौरान बीते बुधवार की दोपहर उनका स्वर्गवास हो गया.

मृत वशिष्ठ नारायण के बिहार में रहने वाले परिजनों को उनके स्वर्गवास हो जाने की सूचना दी गई. परिजन भी अंतिम यात्रा में शामिल होने बिहार से निकले. बिहार से आने वाले परिजन के इंतजार के लिए शव को एक दिन के लिए गेवरा स्थित अस्पताल की मर्च्युरी में रखा गया था.

दूसरे दिन गुरुवार को अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही थी. स्व वशिष्ठ नारायण की पत्नी 84 वर्षीय रमावती देवी पति के शव के पास बिलख- बिलख कर रो रही थी, इसी दौरान 72 सालों के जीवन साथी का साथ छूट जाने का सदमा उन्हें लगा और रोते-रोते उन्होंने भी दम तोड दिया.

जिन्होंने भी यह दृश्य देखा इस प्यार को देखकर सबकी आंखें नम हो गई. दीपका कोयलांचल क्षेत्र में धूमधाम से दंपत्ति को आखिरी विदाई दी गई. दोनों की शवयात्रा साथ-साथ निकाली गई. और दोनों का अंतिम संस्कार एक साथ एक ही चिता पर किया गया. मृत दंपत्ति के सबसे छोटे बेटे संतोष कुमार सिन्हा जो एसईसीएल, दीपका परियोजना में सीनियर मैनेजर पद पर पदस्थ हैं ने बताया कि उनके पिता का स्वभाव मिलनसार था.

इनपुट- कोरबा से नीलम दास पड़वार की रिपोर्ट, ZEE मीडिया

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