12 हजार से ज्यादा बुजुर्गों को तीर्थ यात्रा पर भेजा जाना था, लेकिन फंड की कमी की वजह से बजट की नहीं मिल पाई मंजूरी.
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नई दिल्लीः छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार आने के बाद बीजेपी की पूर्व 'मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा' योजना को बदलकर 'तीरथ बरत योजना' कर दिया गया था. जिसके बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस योजना के अंतर्गत वृद्धजनों और दिव्यांगों को निशुल्क तीर्थ यात्रा कराने की घोषणा की थी और इसके अंतर्गत 12 हजार से ज्यादा बुजुर्गों को तीर्थ यात्रा पर भेजा जाना था, लेकिन फंड की कमी की वजह से बजट की नहीं मिल पाई मंजूरी.
बता दें यात्रा रद्द किए जाने से पहले 12 से ज्यादा जिलों में रजिस्ट्रेशन और लिस्ट बनाई गई थी, जिसके अंतर्गत 2 जिलों में तिथि की भी घोषणा की जा चुकी थी, लेकिन समय तय होने के बाद सरकार को अचानक ही यह यात्रा रद्द करनी पड़ी. मिली जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार को अभी तक इस यात्रा के लिए बजट नहीं मिल पाया था, जिसके चलते इस यात्रा को रद्द करना पड़ा.
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सरकार द्वारा 5 जुलाई से 27 सितंबर तक सभी जिलों के बुजुर्गों को प्रस्तावित तीर्थ यात्रा पर भेजना था, लेकिन फंड की कमी के चलते यात्राएं रद्द कर दी गई हैं. सूत्रों के मुताबिक पिछले सत्र के मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन यात्रा के भी लाखों रुपए का भुगतान अभी बकाया है, जिसकी मंजूरी वित्त विभाग में अटकी हुई है. समाज कल्याण विभाग का मानना है की योजना का नाम बदलने की वजह से पिछली राशि की स्वीकृति इस वित्तीय वर्ष में नहीं मिल रही जिसकी वजह से नई तीर्थ यात्रा को लेकर वित्त का मामला अटक रहा है.
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सरकार के पास फंड की कमी
समाज कल्याण विभाग का मानना है की योजना का नाम बदलने की वजह से पिछली राशि की स्वीकृति इस वित्तीय वर्ष में नहीं मिल रही है, जिसकी वजह से नई तीर्थ यात्रा को लेकर वित्त का मामला अटक रहा है और यही कारण है कि सरकार को यह यात्रा रद्द करनी पड़ी.