पहले लोग सोशल मीडिया में पुलिस की आलोचना करते थे. लेकिन लॉकडाउन के दौरान हमारे राज्य की पुलिस ने ऐसा कार्य किया कि सोशल मीडिया प्रदेश की पुलिस के द्वारा किये गये मानवीय कार्यों से भरा पड़ा था. इसके लिये आपकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है.
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रायपुर: प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल शुक्रवार को रायपुर में पुलिस जवानों के द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए. मुख्यमंत्री बघेल सुरक्षा बल के जवानों के साथ भोजन भी किया. इस दौरान उन्होंने पुलिसकर्मियों की जमकर तारीफ करते हुए कहा कि पुलिस ने परित्राणाय साधुनाम के सूत्र को चरितार्थ करके दिखाया है.
रायपुर के पुलिस परेड ग्राउंड में सीएम बघेल कोरोना संक्रमण के दौरान पुलिसकर्मियों और अर्ध सैनिक बलों के जवानों द्वारा किये गये कार्य की सराहना करते हुए कहा कि ''पुलिस ने परित्राणाय साधुनाम के सूत्र को चरितार्थ करके दिखाया है".
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पहले लोग सोशल मीडिया में पुलिस की आलोचना करते थे. लेकिन लॉकडाउन के दौरान हमारे राज्य की पुलिस ने ऐसा कार्य किया कि सोशल मीडिया प्रदेश की पुलिस के द्वारा किये गये मानवीय कार्यों से भरा पड़ा था. इसके लिये आपकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है.
किसान और पुलिस दोनों की भूमिका अहम
सीएम बघेल ने कहा कि जिस तरह किसान खेत में अन्न का उत्पादन कर हमारा पेट भरते हैं, वैसे ही हमारे सुरक्षाकर्मी दिन-रात हमारी सुरक्षा में लगे रहते हैं. किसान और जवान दोनों का योगदान अतुलनीय है. बघेल ने पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री द्वारा दिये गये नारा "जय जवान-जय किसान" को दोहराया. उन्होंने कहा कि नक्सली क्षेत्र में हमारे जवान साहस और शौर्य के साथ डटे हुए हैं. पुलिस बहुत ही संतुलित तरीके से कार्य कर रही है. तनाव में रहकर भी संयमित होकर कार्य करना हमारी पुलिस की खूबी है.
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कानून के साथ संतुलन जरूरी
उन्होने अपने संबोधन में कहा कि कानून के साथ संतुलन नहीं होने से बात बिगड़ती है, इसलिए जीवन मे संतुलन बहुत ज़रूरी है. नक्सल क्षेत्र में हों, शहरी क्षेत्र में हो या सरहद में हों जवानों में बहुत तनाव होता है. पुलिस को अपनी पहचान बना कर रखना हम सबकी जिम्मेदारी है. वर्दी का सम्मान हमारे आचरण से होता है, इसलिए सम्मान घटना नहीं बढ़ना चाहिए.
साहस और संवेदनशीलता के साथ काम कर रहे हैं जवान
सीएम ने कहा कि नक्सली समस्या समाप्त करने के लिये छत्तीसगढ़ पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवान बहुत ही साहस और संवेदनशीलता के साथ कार्य कर रहे हैं. यही वजह है कि विगत दो वर्षों में एक बार भी मानवाधिकार संगठनों ने कोई भी शिकायत नहीं की है. पिछले दो वर्षों में हमारे जवानों ने आदिवासियों का विश्वास जीता है.
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