लॉकडाउन की वजह से रेल, बस सेवा पर पूरी तरह से रोक लग गई थी. इसी वजह से हेड कांस्टेबल रमेश तोमर मुरैना से 16 दिन बाद पैदल अपने घर उज्जैन पहुंचे. इन 16 दिनों में उन्होंने महज दो बार खाना खाया. जबकि बिस्किट, सेब खाकर उन्होंने हिम्मत जुटाई.
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मनोज जैन/उज्जैन: लॉकडाउन की वजह से रेल, बस सेवा पर पूरी तरह से रोक लग गई थी. इसी वजह से हेड कांस्टेबल रमेश तोमर मुरैना से 16 दिन बाद पैदल अपने घर उज्जैन पहुंचे. इन 16 दिनों में उन्होंने महज दो बार खाना खाया. जबकि बिस्किट, सेब खाकर उन्होंने हिम्मत जुटाई. विसरा रिपोर्ट के सिलसिले में वे ग्वालियर गये थे, जब वापस लौटे तो अधिकारियों ने तालियां बजाकर स्वागत किया.
उज्जैन थाना नीलगंगा में पदस्थ 60 वर्षीय हेड कांस्टेबल रमेश तोमर 21 मार्च को विसरा रिपोर्ट के सिलसिले में ग्वालियर गए थे, जिसके बाद वहीं पर अपनी बेटी के घर जाकर वे रुक गए.
इस बीच देशभर में कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन हो गया जिसके बाद रमेश तोमर को उज्जैन आने के लिए कोई साधन नहीं मिला तो वे अपने परिचित की मदद से मुरैना तक पहुंचे और फिर पैदल ही उज्जैन के लिए वहां से चल पड़े.
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रमेश तोमर ने करीब 16 दिन पहले मुरैना से पैदल चलना शुरू किया और बिना खाए. सिर्फ बिस्किट के सहारे पैदल ही लगातार उज्जैन के लिए चलते रहे. इस बीच तोमर ने सिर्फ दो बार खाना खाया और आज वे करीब 16 दिन बाद अपने शहर उज्जैन पहुंचे.
उज्जैन के थाना नीलगंगा क्षेत्र के सिंधी कॉलोनी चौराहे पर पर ड्यूटी दे रहे पुलिसकर्मियों ने रमेश कुमार का तालियां बजाकर स्वागत किया और अपने आला अधिकारियों को रमेश तोमर की पूरी कहानी बताई.
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