शहर के गढ़ा क्षेत्र में अखंड रामायण यज्ञ मंदिर में सर्वप्रथम भगवान के कपाट खोले गए. जिसके बाद विधि विधान से पूजा पाठ शुरू की गई.
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कर्ण मिश्रा/जबलपुर: साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण समाप्त हो चुका है. इस ग्रहण को लेकर संस्कारधानी के नर्मदा तटों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. ज्योतिष के अनुसार यह अद्भुत नजारा 296 साल बाद देखने को मिला है. सूर्य ग्रहण शुरू होने से लेकर खत्म होने तक श्रद्धालुओं ने जप, तप और पूजा-आराधना कर सिद्धी योग किया. सुबह 5 बजे से शहरवासी नर्मदा तट पहुंचे और पूजन पाठ कर ग्रहण के दुष्प्रभावों से बचने के लिए भगवान की आराधना की. वहीं, जैसे ही ग्रहण काल समाप्त हुआ, उसके बाद दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक शहर के मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की गई.
शहर के गढ़ा क्षेत्र में अखंड रामायण यज्ञ मंदिर में सर्वप्रथम भगवान के कपाट खोले गए. जिसके बाद विधि विधान से पूजा पाठ शुरू की गई. वहीं, भगवान के पट खुलते ही भक्त भक्तिमय हो उठे और भजन-कीर्तन के बाद भगवान की पूजा अर्चना की गई. इस दौरान भक्तों की भारी भीड़ मंदिरों में मौजूद रही. ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के बाद किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने से दोष कटते हैं और किसी भी तरह का दुष्फल नही पड़ता है. मां नर्मदा की नगरी संस्कारधानी जबलपुर में इसी मान्यता का पालन किया गया. मां नर्मदा में डुबकी लगाकर श्रद्धालुओं ने पूजन पाठ करवाया. वहीं, मंदिरों में भगवान की पूजा अर्चना भी की.