मध्य प्रदेश विधानसभा में महिला दिवस के दिन 'धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक' पर होगी चर्चा
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मध्य प्रदेश विधानसभा में महिला दिवस के दिन 'धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक' पर होगी चर्चा

महिला दिवस यानी 8 मार्च को मध्य प्रदेश विधानसभा में धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक पर चर्चा होगी. स्पीकर गिरीश गौतम ने कांग्रेस की मांग पर इस विधेयक पर चर्चा के लिए डेढ़ घंटे का समय निर्धारित किया है.

मध्य प्रदेश विधानसभा. (File Photo)

भोपाल: महिला दिवस यानी 8 मार्च को मध्य प्रदेश विधानसभा में धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक पर चर्चा होगी. स्पीकर गिरीश गौतम ने कांग्रेस की मांग पर इस विधेयक पर चर्चा के लिए डेढ़ घंटे का समय निर्धारित किया है. शिवराज सरकार में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने इस बारे में जानकारी दी. उन्होंने कांग्रेस नेताओं को चुनौती दी है कि यदि सही मायने में वे महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं, उनका सम्मान करते हैं तो विधानसभा में लव जिहाद के खिलाफ आ रहे इस विधेयक का समर्थन करें. 

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इंटरनेशनल विमेंस डे के दिन महिला कांग्रेस प्रदेश भर में महिला सुरक्षा को लेकर शिवराज सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेगी. इस पर निशाना साधते हुए विश्वास सारंग ने कहा कि 8 मार्च को होने वाला महिला कांग्रेस का प्रदर्शन सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए है. आपको बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शिवराज सरकार में महिलाओं के विरुद्ध अपराध बढ़ने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस की महिला वर्कर्स से 8 मार्च को राज्यव्यापी​ विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान किया था.

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गृह मंत्री 1 मार्च को सदन में पेश कर चुके हैं
विश्वास सारंग ने कहा, ''कमलनाथ जी सदन में बोले कि वह इस कानून का समर्थन करते हैं और लव जिहाद का विरोध करते हैं. कांग्रेस पार्टी का स्टैंड इस पर स्पष्ट होना चाहिए. कांग्रेस विधायक लव जिहाद के विरोध में हमारा साथ दें और विधेयक के पक्ष में मतदान करें.  इस विधेयक पर महिला दिवस के मौके पर चर्चा होनी है.'' गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने 1 मार्च को विधानसभा में 'धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक 2020' पेश किया था. इस विधेयक पर 5 मार्च को चर्चा होनी थी, लेकिन बजट पर चर्चा होने की वजह से ऐसा नहीं हो पाया.

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विधेयक के महत्वपूर्ण प्रावधान निम्न लिखित हैं
इस विधेयक में बहला-फुसलाकर, धमकी देकर धर्मांतरण और जबरदस्ती विवाह करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है. इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह में सहयोग करने वालों के खिलाफ मुख्य आरोपी की तरह ही न्यायिक कार्रवाई की जाएगी. धर्मांतरण और इसके पश्चात होने वाले विवाह के 1 महीने पहले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के पास लिखित में आवेदन करना होगा.

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बिना आवेदन किए धर्मांतरण करने वाले, कराने वाले धर्मगुरु, काजी, मौलवी या पादरी को 5 साल तक की सजा का प्रावधान है. धर्मांतरण और जबरन विवाह की शिकायत स्वयं पीड़ित, माता-पिता, परिजन या गार्डियन द्वारा की जा सकती है. इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं का ​रजिस्ट्रेशन निरस्त होगा. 

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