दरअसल, चुनावों में लुभाने के लिए राज्य सरकार लोगों को सस्ती दरों पर बिजली उपलब्ध कराती हैं. और इस घाटे की पूर्ति के लिए कंपनियों को सब्सिडी दी जाती है. मध्य प्रदेश में संबल योजना के तहत तीनों बिजली कंपनियों को 3212.10 करोड़ रुपए मिलने थे.
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भोपाल: मध्य प्रदेश में अप्रैल से बिजली बिल की दरें बढ़ सकती हैं. मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी ने राज्य विद्युत नियामक आयोग को दरें बढ़ाने का प्रस्ताव भी भेज दिया है. अगर आयोग की तरफ से बात मान ली जाती है, तो अप्रैल से लोगों को बढ़ी हुई बिजली का बिल देना होगा. आयोग को भेजे गए प्रस्ताव में कंपनी ने कहा है कि पिछले कुछ वर्षों में उन्हें 4000 करोड़ का नुकसान हुआ है, जिसकी भरपाई के लिए बिजली बिल की दरें बढ़ाना बहुत जरूरी है.
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दरअसल, चुनावों में लुभाने के लिए राज्य सरकार लोगों को सस्ती दरों पर बिजली उपलब्ध कराती हैं. और इस घाटे की पूर्ति के लिए कंपनियों को सब्सिडी दी जाती है. मध्य प्रदेश में संबल योजना के तहत तीनों बिजली कंपनियों को 3212.10 करोड़ रुपए मिलने थे. लेकिन सब्सिडी नहीं मिलने की वजह से पूर्व क्षेत्र की बिजली कंपनी को 771.35 करोड़ का घाटा हुआ, वहीं पश्चिम क्षेत्र बिजली कंपनी को 762.68 करोड़ का और मध्यक्षेत्र बिजली कंपनी को 1679.07 करोड़ का घाटा हुआ.
प्रदेश में इन योजनाओं के तहत दी जाती है सस्ती बिजली
संबल योजना : शिवराज के 15 साल की सरकार के आखिरी महीनों में ये योजना लांच की गई. इसमें गरीब उपभोक्ताओं को 100 रुपए में बिजली दी जाती है. इसमें बीपीएल कार्ड धारी, श्रमिक कार्ड धारी और ढाई एकड़ से कम ज़मीन के मालिक किसानों को शामिल किया गया था. इससे पहले आयकर दाताओं को भी योजना का लाभ दिया जाता था. लेकिन पिछले दिनों ऐसे 6 लाख उपभोक्ताओं को बाहर कर दिया गया.
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इंदिरा ज्योति योजना : कमल नाथ सरकार ने सस्ती बिजली के लिए 100 युनिट तक बिजली खपत होने पर 100 रुपए बिजली बिल देने की स्कीम लांच की थी. ये योजना सभी उपभोक्ताओं के लिए समान रूप से लागू थी. शिवराज सरकार ने अब इस योजना को संबल योजना में मर्ज करने का फैसला लिया है.
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