ब्यूटी पार्लर से तैयार होकर भीख मांगने निकली लड़कियों को पुलिस ने पकड़ा, परिजनों ने मचाया हंगामा
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ब्यूटी पार्लर से तैयार होकर भीख मांगने निकली लड़कियों को पुलिस ने पकड़ा, परिजनों ने मचाया हंगामा

बच्चों ने बताया कि भिक्षावृत्ति के दौरान उन्हें लोग रुपए-पैसे के साथ खाने-पीने का सामान देते हैं. वे दिनभर में सौ से डेढ़ सौ रुपए कमा लेते हैं. जिसे ले जाकर वे अपने माता-पिता को देते हैं. 

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

भोपालः ब्यूटी पार्लर से तैयार होकर भिक्षावृत्ति करने निकली चार किशोरियों सहित 15 बच्चों को चाइल्ड लाइन, बाल कल्याण समिति और छोटी ग्वालटोली पुलिस ने गुरुवार दोपहर पकड़ा. इन बच्चों की उम्र छह से 15 वर्ष है. ज्यादातर बच्चे पिवड़ाय और नेमावर बायपास इलाके के रहने वाले हैं. बच्चों को छुड़ाने के लिए उनके परिजन ने जमकर हंगामा किया. परिजन के खिलाफ सरकारी काम में रुकावट पहुंचाने का केस दर्ज हो सकता है. काउंसलिंग के बाद उम्र के मुताबिक बच्चों को अलग-अलग संस्था में रखा गया है. छोटी ग्वालटोली टीआई डीएस नागर के मुताबिक, पुलिस टीम के साथ चाइल्ड लाइन व विशेष किशोर इकाई पुलिस द्वारा गुरुवार को अभियान चलाकर बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन इलाके से 15 बच्चों को रेस्क्यू किया गया है. 

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इनमें 12 बालिकाएं और तीन बालक हैं. बाल कल्याण समिति अध्यक्ष माया पांडे ने बताया कि कुछ बच्चों को सियागंज इलाके से भीख मांगते हुए पकड़ा गया. पूछताछ में पता चला कि बच्चे सपेरा समुदाय के हैं. चार बच्चे पिवड़ाय, तीन बच्चियां सपेरा कॉलोनी खंडवा रोड और आठ बच्चे देवगुराड़िया इलाके के रहने वाले हैं. बच्चों ने बताया कि भिक्षावृत्ति के दौरान उन्हें लोग रुपए-पैसे के साथ खाने-पीने का सामान देते हैं. वे दिनभर में सौ से डेढ़ सौ रुपए कमा लेते हैं. जिसे ले जाकर वे अपने माता-पिता को देते हैं. 

इनमें शामिल चार बच्चियों के पहनावे से लग रहा है कि वे ब्यूटी पार्लर से तैयार होने के बाद भीख मांगने निकली थीं. जिस तरह से वे तैयार होकर घूम रही थीं उससे शंका है कि वे किसी अन्य आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो सकती हैं. बच्चों की टोली में शामिल दो बच्चों को पहले भी रेस्क्यू किया जा चुका है. इससे लग रहा है कि परिजन उनसे लगातार भिक्षावृत्ति करवा रहे हैं. 

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समिति अध्यक्ष के मुताबिक, कार्रवाई के दौरान एक एनजीओ संचालक भी आ गया था. जो बच्चों की जिम्मेदारी लेकर छोड़ने का दबाव बना रहा था. सभी बच्चों को समिति के सामने पेश किया गया. यहां परिजन ने हंगामा किया और कहते रहे कि पहली बार बच्चों से उक्त काम करवाया है. बच्चों को जीप में बैठाने के दौरान गाड़ी के आगे कुछ महिलाएं लेट गई थीं. पुलिस ने बच्चों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया. टीम 52 बच्चों को रेस्क्यू कर चुकी है. 19 मार्च को जिला न्यायाधीश ने जिला प्रशासन, पुलिस सहित बाकी एजेंसियों की बैठक में अभियान चलाने का निर्देश दिया था.

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