जांच में पाया गया कि भीमसिंह असल परीक्षार्थी कैलाशी रावत के स्थान पर फर्जी रुप से परीक्षा में शामिल होकर फर्जी हस्ताक्षर करके और फर्जी वोटर कार्ड के आधार परीक्षा दे रहा था.
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शैलेंद्र सिंह भदौरिया/ग्वालियर: मध्य प्रदेश पुलिस के आरक्षक भर्ती घोटाले में ग्वालियर की जिला अदालत ने को चार आरोपियों पांच-पांच साल की सजा सुनाई है. साथ ही 3700-3700 रुपए का जुर्माना भी किया गया. दरअसल, अपर सत्र न्यायाधीश सुरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव ने आरोपी भीम सिंह, कैलाशी रावत, अमिताभ और उदय सिंह को दोषी पाते हुए सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. इस मामले में एक आरोपी विमल मीणा को आरोप प्रमाणित नहीं होने पर दोषमुक्त कर दिया. इस मामले में आरोपी थंब इंप्रेशन के दौरान पकड़े गए थे.
गौरतलब है कि व्यावसायिक परीक्षा मंडल द्वारा 24 अगस्त 2017 को बीबीएम दर्पण कॉलोनी ग्वालियर में आयोजित पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में परीक्षा की समाप्ति पर व्यापमं के निर्देशानुसार सभी परीक्षार्थियों के थंब इंप्रेशन लिए जा रहे थे. जैसे ही परीक्षार्थी कैलाशी रावत का बायोमेट्रिक थंब लिया गया तो, वह मैच नहीं हुआ और वह भागने लगा. तभी ड्यूटी पर तैनात पुलिस ने उसे पकड़ लिया. जब उसका एडमिट कार्ड चेक किया गया तो, उसके आवेदन पर कैलाशी रावत लिखा था.
एडमिट कार्ड पर लगे फोटो से परीक्षा दे रहे परीक्षार्थी का फोटो मैच नहीं होने पर जब उससे नाम पूछा तो उसने अपना नाम एडमिट कार्ड पर लिखा नाम कैलाशी बताया. जब पुलिस सख्त हुई तो उसने अपना असली नाम भीम सिंह मीणा निवासी सवाई माधौपुर बताया. उसने बताया कि वह मुरैना जौरा के अमिताभ रावत के कहने पर कैलाशी रावत के स्थान पर परीक्षा देने आया था. परीक्षा देने के बदले उसे चालीस हजार रुपए मिले थे.
जांच में पाया गया कि भीमसिंह असल परीक्षार्थी कैलाशी रावत के स्थान पर फर्जी रुप से परीक्षा में शामिल होकर फर्जी हस्ताक्षर करके और फर्जी वोटर कार्ड के आधार परीक्षा दे रहा था. इस समय अभियुक्त उदयसिंह रावत ने वहां पर भीमसिंह की मदद करने के एवज में 38 हजार रुपए देने की पेशकश की, उसे भी पकड़ा गया.