राहुल गांधी के वादे के बाद 11 दिन नहीं 11 महीने किया इंतजार, तब छोड़ी कांग्रेस- सिंधिया
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राहुल गांधी के वादे के बाद 11 दिन नहीं 11 महीने किया इंतजार, तब छोड़ी कांग्रेस- सिंधिया

शनिवार को कार्यक्रम के आगाज पर सिंधिया ने कहा था कि कांग्रेस में सिवाय भ्रष्टाचार के कुछ नहीं था. उन्होंने तत्कालीन कमलनाथ सरकार पर वल्लभ भवन को भ्रष्टाचार का अड्डा बनाने का आरोप लगाया था. वहीं आज फिजिकल कॉलेज के मंच से उन्होंने कांग्रेस छोड़ने की असल वजह भी बता दी.

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कुर्सी के लिए नहीं जनसेवा के लिए राजनीति में आए हैं.

ग्वालियर: पिछले दो दिनों से बीजेपी और आधी मध्य प्रदेश सरकार ग्वालियर में डेरा डाले हुए है. उपचुनाव जीतने के लिए प्रदेश की बीजेपी सरकार ने ग्वालियर-चंबल संभाग से प्रचार का आगाज किया है. यहां 16 सीटों पर उपचुनाव होने हैं. सीटों के समीकरण और ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रभाव वाली सीटों को देखते हुए बीजेपी ने यहां सदस्यता ग्रहण कार्यक्रम से वोटर को साधने की कोशिश की है. कार्यक्रम से सिंधिया खुलासा किया कि उन्होंने क्यों कांग्रेस और सरकार में उप मुख्यमंत्री की कुर्सी का ऑफर ठुकरा दिया था.

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जनता की सेवा में विश्वास
शनिवार को कार्यक्रम के आगाज पर सिंधिया ने कहा था कि कांग्रेस में सिवाय भ्रष्टाचार के कुछ नहीं था. उन्होंने तत्कालीन कमलनाथ सरकार पर वल्लभ भवन को भ्रष्टाचार का अड्डा बनाने का आरोप लगाया था. वहीं आज फिजिकल कॉलेज के मंच से उन्होंने कांग्रेस छोड़ने की असल वजह भी बता दी. उन्होंने खुलासा कि वह किसी लालच में नहीं, बल्कि जनता की सेवा में विश्वास करते हैं. 

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राहुल गांधी ने नहीं निभाया अपना वादा
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि वह पद पाने के लिए नहीं, बल्कि जन सेवा के लिए राजनीति में आए हैं और इसलिए उस समय उप मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ दी थी. भाजपा के राज्यसभा सांसद सिंधिया ने कमलनाथ सरकार पर आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने 10 दिन में कर्ज माफी की बात की थी और ऐसा न होने पर मुख्यमंत्री बदलने को कहा था. मैंने 11 दिन नहीं बल्कि 11 महीने इंतजार किया. लेकिन किसानों के हाथ निराशा लगी.

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कुर्सी नहीं जनता के हक की लड़ाई अहम
सिंधिया ने तीखे स्वर में कहा कि मुख्यमंत्री पद कोई ताज या कुर्सी नहीं होती कमलनाथ जी, जनता की सेवा ही बड़ी जिम्मेदारी होती है. आपने जनता से वादाखिलाफी और भ्रष्टाचार किया. आप जनता से किये वादे पूरे करते तो हमें सड़कों पर नहीं उतरना होता. सिंधिया ने कहा कि मैं और मेरे सहयोगी कभी कुर्सी के सेवक नहीं रहे. यदि मुझे कुर्सी का लालच होता तो जब उपमुख्यमंत्री बनने का ऑफर दिया था, उसे तभी स्वीकार कर लेता. मुझे जनता के लिये सड़क पर उतरकर लड़ाई लड़ना, कुर्सी से ज्यादा अहम लगा.

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