केन-बेतवा लिंक परियोजना: UP और MP सरकार के बीच MOU आज, सुलझेगा वर्षों का विवाद
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केन-बेतवा लिंक परियोजना: UP और MP सरकार के बीच MOU आज, सुलझेगा वर्षों का विवाद

इसके अलावा इस प्रोजेक्ट को लेकर पर्यावरण को होने वाले नुकसान को लेकर भी चिंता जाहिर की जा रही है.

फाइल फोटो.

भोपाल: आज विश्व जल दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में नदियों को आपस में जोड़ने की पहली परियोजना पर हस्ताक्षर किए जाएंगे और सालों से चर्चा में बनी मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के केन-बेतवा लिंक परियोजना की शुरुआत हो जाएगी. यह समझौता केंद्रीय जल शक्ति मंत्री और उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के बीच होगा. यह कार्यक्रम वर्चुअल होगा. जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने MCM (750 मिलियन क्यूबिक मीटर) पानी मध्य प्रदेश को देने की सहमति जताई है.

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क्या है केन बेतवा इंटरलिंक प्रोजेक्ट
केन बेतवा इंटरलिंक प्रोजेक्ट नदियों को इंटरलिंक करने का प्रोजेक्ट है. इस प्रोजेक्ट के तहत मध्य प्रदेश की केन नदी और उत्तर प्रदेश की बेतवा नदी को लिंक किया जाएगा. केन्द्र सरकार पूरे देश में सिंचाई की व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए ऐसे कुल 30 प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. केन बेतवा इंटरलिंक प्रोजेक्ट पर करीब 45 हजार करोड़ रुपए का खर्च आएगा.

क्या होगा इस प्रोजेक्ट से फायदा
केन बेतवा इंटरलिंक प्रोजेक्ट की मदद से सरकार सूखाग्रस्त बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी की समस्या दूर करने की योजना बना रही है. बुंदेलखंड क्षेत्र यूपी और एमपी में फैला हुआ है. इसके तहत मुख्य तौर पर यूपी के झांसी, बांदा, ललितपुर और महोबा जिले आते हैं. वहीं एमपी के टीकमगढ़, पन्ना और छतरपुर जिले बुंदेलखंड क्षेत्र में आते हैं. केन बेतवा इंटरलिंक प्रोजेक्ट की मदद से बुंदेलखंड में सिंचाई, पीने के पानी की कमी दूर हो सकेगी. 

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ये है विवाद
इस प्रोजेक्ट का जो ड्राफ्ट तैयार किया गया है, उसके मुताबिक एमपी को 2650 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलना है. वहीं यूपी को 1700 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलना है. हालांकि यूपी सरकार की तरफ से 935 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी की और मांग की गई थी. जिससे एमपी ने इंकार कर दिया था. इसी के चलते यह प्रोजेक्ट अटक गया था. 

इसके अलावा इस प्रोजेक्ट को लेकर पर्यावरण को होने वाले नुकसान को लेकर भी चिंता जाहिर की जा रही है. केन नदी पन्ना टाइगर रिजर्व से होकर गुजरती है. केन-बेतवा इंटरलिंकिंग प्रोजेक्ट के चलते पन्ना टाइगर रिजर्व का कुछ हिस्सा पानी में डूब जाएगा, जिससे यहां रहने वाले टाइगर्स को नुकसान होगा. 

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