MP Election News: लोकसभा चुनाव के बाद अब मध्य प्रदेश में कुछ सीटों पर उपचुनाव होना तय है. जिससे प्रदेश में जल्द ही फिर से चुनावी माहौल शुरू होता दिखाई देगा.
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MP News: मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के नतीजों का असर उपचुनाव के तौर पर दिखाई देगा. क्योंकि लोकसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस की तरफ से कई विधायक और राज्यसभा सांसद चुनाव लड़े थे, जिनमें से कुछ को जीत मिली है, जिससे प्रदेश में एक राज्यसभा और दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना तय है. इसके अलावा कुछ विधायकों ने दलबदल किया है, ऐसे में अगर वह अपनी सदस्यता से इस्तीफा देते हैं तो उनकी सीटों पर भी उपचुनाव होने की स्थिति बनेगी.
सिंधिया की जीत से खाली होगी राज्यसभा सीट
मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुना लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था. जहां उन्होंने जीत हासिल की है. ऐसे में उनके लोकसभा सदस्य चुने जाने के बाद राज्यसभा सीट खाली होगी. जिससे प्रदेश में इस राज्यसभा सीट पर उपचुनाव की स्थिति बनेगी. क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया का अभी राज्यसभा में कार्यकाल 2026 तक चलना था. सिंधिया ने गुना लोकसभा सीट पर पांच लाख से भी ज्यादा वोटों से जीत हासिल की है.
बुधनी और अमरवाड़ा में भी होंगे उपचुनाव
वहीं सीहोर जिले की बुधनी और छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव होंगे. क्योंकि बुधनी विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं, जबकि अमरवाड़ा विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए हैं. उनका इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने मंजूर कर लिया था. जिससे यह सीट भी खाली हो गई थी. ऐसे में इन दोनों सीटों पर भी उपचुनाव होंगे.
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यहां सस्पेंस बरकार
वहीं सागर जिले की बीना विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे और श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. लेकिन दोनों ही विधायकों ने अब तक अपनी विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है. ऐसे में अगर यह विधायक भी इस्तीफा देते हैं तो यहां भी उपचुनाव की संभावना बन सकती है.
कांग्रेस के विधायक हारे लोकसभा चुनाव
इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने भी पांच विधायकों को लोकसभा चुनाव में टिकट दिया था. लेकिन कांग्रेस के सभी विधायकों को हार का सामना करना पड़ा है. वहीं पार्टी ने पूर्व सीएम और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह को भी लोकसभा चुनाव लड़ाया था, लेकिन उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा है. अगर इनमें से कोई भी जीतता तो प्रदेश में उपचुनाव वाली सीटों की संख्या बढ़ सकती थी.
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