मध्य प्रदेश: सवालों के घेरे में घिरी छानबीन समिति, लगा अफसर को बचाने का आरोप
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मध्य प्रदेश: सवालों के घेरे में घिरी छानबीन समिति, लगा अफसर को बचाने का आरोप

खाद्य एवं औषध विभाग में उप औषधि नियंत्रक के पद पर शोभित कोष्ठा पदस्थ हैं और कोष्ठाजाति पिछड़ा वर्ग में आती है, लेकिन उनकी औषधि निरीक्षक के पद पर नियुक्ति 1997 में हलवा जाति के तहत हुई है,

प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो साभारः twitter)

भोपालः मध्य प्रदेश में फर्जी दस्तावेजों के सहारे आरक्षण का लाभ पाने वालों पर कार्रवाई के लिए बनाई गई छानबीन समिति खुद सवालों के घेरे में आ गई है. नागरिक उपभोक्ता मंच के अध्यक्ष एस. बी. सिंह ने छानबीन समिति पर एक ऐसे अधिकारी को संरक्षण देने का आरोप लगाया है जो अधिकारी पिछड़ा वर्ग से आता है, मगर उसे जनजाति समुदाय का लाभ मिला है. संबंधित अधिकारी ने हालांकि आरोप को सिरे से खारिज करते हुए उनका भयादोहन करने का आरोप लगाया है. सिंह ने शुक्रवार को राजधानी में एक संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि खाद्य एवं औषध विभाग में उप औषधि नियंत्रक के पद पर शोभित कोष्ठा पदस्थ हैं और कोष्ठाजाति पिछड़ा वर्ग में आती है, लेकिन उनकी औषधि निरीक्षक के पद पर नियुक्ति 1997 में हलवा जाति के तहत हुई है, जो अनुसूचित जनजाति सुदाय में आती है. उन्होंने इसी वर्ग का लाभ उठाते हुए वर्ष 2004 में पदोन्नत होकर वरिष्ठ औषधि निरीक्षक का पद हासिल किया. 

गौर करने वाली बात यह है कि सर्वोच्च न्यायालय एवं मध्य प्रदेश शाासन के पत्र दिनांक 7 मार्च 2011 के अनुसार, हलवा जाति की मान्यता 28 नवंबर 2011 से समाप्त कर आदेश दिया गया कि भविष्य में हलवा जाति के लोगों को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाएगा. बता दें कि राज्य में आरक्षण का अनुचित लाभ लेने वालों के खिलाफ जांच और कार्रवाई की अनुशंसा का अधिकार छानबीन समिति को है. 

सिंह ने आरोप लगाया कि शोभित के पिता डा. खूबचंद्र कोष्ठा सामान्य श्रेणी में स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सक के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं. वे सामान्य वर्ग से थे इसलिए उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिला, मगर शोभित ने अपने को जनजाति का बताकर गलत फायदा उठाया है.सिंह का आरोप है कि कोष्ठा का जो जाति प्रमाण पत्र जारी हुआ है, वह अस्पष्ट है, जिलाधिकारी दमोह से सत्यापन कराया गया मगर उन्होंने भी भ्रामक जानकारी दी. यही नहीं, शोभित कोष्ठा का जाति प्रमाण पत्र नोहटा तहसील जबेरा जिला दमोह से 2007-2008 में जारी हुआ है, जबकि नियुक्ति 1997 की है. 

सिंह ने कहा कि छानबीन समिति के अध्यक्ष और अनुसूचित जनजाति कार्यविभाग के प्रमुख सचिव एस. एन. मिश्रा लगातार कोष्ठा को बचाने में लगे हैं, यही कारण है कि दमोह कलेक्टर से आए ब्योरे को समिति अपनी सुविधा के अनुसार परिभाषित कर रही है. छानबीन समिति की कार्यशैली हमेशा चर्चाओं में रही है, चाहे मामला बैतूल सांसद ज्योति धुर्वे का हो या कोष्ठा का. कोष्ठा ने कहा कि सिंह उनके विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और उन्हें काफी अरसे से ब्लैकमेल कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "उनकी मनमर्जी से लोगों की पोस्टिंग नहीं करने पर वह अनर्गल आरोप लगा रहे है." कोष्ठा का दावा है कि उनके पास सिंह की ऑडियो क्लिप है, जिसे वे भी जारी करेंगे और पुलिस में शिकायत दर्ज कराएंगे. 

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