MP में जमानत के लिए HC ने लगाई अनोखी शर्त, पौधे लगाने के साथ करनी होगी उनकी देखरेख
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MP में जमानत के लिए HC ने लगाई अनोखी शर्त, पौधे लगाने के साथ करनी होगी उनकी देखरेख

मध्य प्रदेश इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के एमडी और तत्कालीन ग्वालियर डेवलपमेंट अथॉरिटी के सीईओ सुरेश कुमार को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने डकैती अधिनियम के मामले में 25 पौधे लगाने की शर्त पर अग्रिम जमानत दी है

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ (फाइल फोटो0

ग्वालियर: देश भर में पेड़ों की घटती संख्या और ग्लोबल वार्मिंग को लेकर हाईकोर्ट भी खासा चिंतित नजर आ रहा है. यही कारण है कि पिछले कुछ दिनों से यह देखने में आ रहा है कि कोर्ट जब भी किसी आरोपी को कोई जमानत देता है तो उसमें एक खास तरह की शर्त जरूर लगाता है. आपको बता दें कि यह शर्त है पेड़ लगाने की. शर्त के मुताबिक जमानत पाने वाले व्यक्ति को न केवल पेड़ लगाने होते हैं बल्कि उनकी देखरेख भी करनी होती है और उसकी रिपोर्ट भी हाई कोर्ट में जमा करनी होती है. इसी क्रम में मध्य प्रदेश इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के एमडी और तत्कालीन ग्वालियर डेवलपमेंट अथॉरिटी के सीईओ सुरेश कुमार को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने डकैती अधिनियम के मामले में 25 पौधे लगाने की शर्त पर अग्रिम जमानत दी है. इसके साथ एमडी को निर्देश दिए हैं कि 30 दिन के भीतर पौधे लगाने के साथ ट्री गार्ड भी लगाने होंगे और एक साल तक पौधों की देखरेख कर रिपोर्ट रजिस्ट्रार को सौंपनी होगी.
 

यह था मामला
इस मामले में आईएएस सुरेश कुमार के वकील राघवेंद्र दीक्षित का कहना है कि कुछ समय पूर्व जीडीए को जानकारी मिली थी कि उनकी रिहायशी कॉलोनी में कुछ लोगों द्वारा एक सर्वे नंबर पर कब्जा कर बाउंड्री बना ली गई है. इसको लेकर जीडीए ने बाकायदा नोटिस जारी भी किए. एक सुनवाई में तो अतिक्रमण कर्ता आए भी लेकिन बाद में वह सुनवाई में शामिल नहीं हुए. जिसके बाद जीडीए सीईओ सुरेश कुमार ने अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए अतिक्रमण को छुड़वा दिया. जिसके बाद सर्वे की मालिक होने का दावा कर रही मेघा गोयल ने निचली अदालत में एक परिवाद पेश किया और उस परिवाद के माध्यम से कोर्ट को बताया कि तत्कालीन सदस्य सुरेश कुमार और अन्य कर्मचारियों के द्वारा उनके सर्वे नंबर पर जबरन घुसकर तोड़फोड़ की गई और उसमें रखा हुआ सामान भी उठा लिया गया जिसके बाद सुरेश कुमार पर डकैती अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया.
 

मामले की सुनवाई के दौरान जमानत के लिए याचिका हाई कोर्ट में पेश की गई और सुरेश कुमार के वकील ने कोर्ट को बताया कि ग्राम एवं शहर निवेश अधिनियम के तहत यह कार्रवाई की गई थी क्योंकि वह जीडीए के सीईओ हैं और जीडीए की जमीन की रक्षा करने के उनका अधिकार है और इन्हीं अधिकारों का प्रयोग करते हुए उन्होंने यह कार्रवाई की है. वकील की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने उन्हें अग्रिम जमानत दे दी है.
 

चीफ इंजीनियर को 200 पौधे लगाने की सजा
वहीं दूसरे मामले में जबलपुर हाई कोर्ट के न्यायाधीश जे. के. माहेश्वरी और अंजुली पालो की युगल पीठ ने अवमानना के दोषी लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचई) के ग्वालियर परिक्षेत्र के चीफ इंजिनियर को अनोखी सजा सुनाई है. चीफ इंजीनियर को 200 पौधे लगाकर उनकी देखभाल करनी होगी. अगर 200 पौधों में से 160 से कम पौधे ही जीवित रहते हैं तो उन्हें एक महीने जेल की सजा काटनी पड़ेगी. यह मामला अनुकंपा नियुक्ति से संबंधित है. टीकमगढ़ जिले के निवासी याचिकाकर्ता आशीष अवस्थी के वकील शैलेश मिश्रा की तरफ से दायर अवमानना याचिका में बताया गया कि उनके पिता ओम प्रकाश अवस्थी पीएचई में पदस्थ थे. 2014 में सेवाकाल के दौरान उनकी मृत्यु हो गई थी. पीएचई विभाग ने वर्ष 2016 में आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने के आदेश दिए थे. जिसके बाद उनकी ओर से अनुकंपा नियुक्ति के लिए साल 2017 में आवेदन किया गया था. वकील ने बताया कि उनका आवेदन खारिज कर दिया गया था. उनके पिता की मौत 2014 में हो चुकी थी और अनुकंपा नियुक्ति दिए जाने के आदेश 2016 में जारी हुए थे.

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