शिव'राज' में होगा राम वन गमन पथ का विकास, चित्रकूट से अमरकंटक तक बनेगा पथ
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शिव'राज' में होगा राम वन गमन पथ का विकास, चित्रकूट से अमरकंटक तक बनेगा पथ

कमलनाथ ने भी 'राम वन गमन पथ' निर्माण का ऐलान किया था. इसके लिए कमलनाथ ने एक कमेटी भी गठित की थी. लेकिन सरकार बदल जाने के कारण यह प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सका था. अब शिवराज सरकार इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाएगी. 

सांकेतिक तस्वीर.

हरीश दिवेकर/भोपाल: पूर्व सीएम कमलनाथ के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी प्रदेश में 'राम वन गमन पथ' निर्माण कराने का ऐलान किया है. सीएम के ऐलान से कमलनाथ सरकार के दौरान ऐलान किए गए इस प्रोजेक्ट की फाइल से धूल हट गई है. इस योजना के तहत चित्रकूट से लेकर अमरकंटक तक राम वन गमन पथ का निर्माण किया जाएगा. 

आपको बता दें कि प्रदेश सीएम रहते हुए कमलनाथ ने भी 'राम वन गमन पथ' निर्माण का ऐलान किया था. इसके लिए कमलनाथ ने एक कमेटी भी गठित की थी. लेकिन सरकार बदल जाने के कारण यह प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सका था. अब शिवराज सरकार इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाएगी. 

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श्रीलंका तक 248 प्रमुख स्थल चिन्हित
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार अयोध्या से भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास के दौरान जिन रास्तों से गुजरे हैं उसे राम वन गमन पथ माना गया है. इस दौरान वे कई ऋषि-मुनियों से मिले और कई जगह तपस्या भी की थी. माना जाता है कि अयोध्या से श्रीलंका तक की 14 साल की यात्रा में लगभग 248 ऐसे प्रमुख स्थल थे, जहां उन्होंने या तो विश्राम किया या फिर उन स्थानों से उनका रिश्ता जुड़ा है. इसके लिए इन जगहों पर 2015 में केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने रामायण सर्किट विकसित करने का ऐलान किया था.

मप्र सहित 8 राज्यों के 20 स्थल चिन्हित
राम से जुड़े जिन ऐतिहासिक स्थलों की पहचान की गई है, इनमें उत्तर प्रदेश में पांच, मध्यप्रदेश में तीन, छत्तीसगढ़ में दो, महराष्ट्र में तीन, आंध्र प्रदेश में दो, केरल में एक, कर्नाटक में एक, तमिलनाडु में दो और एक स्थल श्रीलंका में है. इस तरह ऐतिहासिक महत्व के 21 धार्मिक स्थल चिन्हित किए गए हैं. इनमें से 20 स्थलों को ऐतिहासिक राम वन गमन पथ से जोड़ने की योजना है. हर राज्य अपने हिसाब से भी इन पवित्र स्थलों को विकसित कर रहे हैं. इसको लेकर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में काम भी चल रहा है.

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मध्य प्रदेश में यहां मिलते हैं राम के प्रमाण
चित्रकूट: चित्रकूट में श्रीराम के दुर्लभ प्रमाण हैं. यहां राम को मनाने के लिए भरत अपनी सेना के साथ पहुंचे थे. यहीं से वह राम की चरण पादुका लेकर लौट गए थे. यहां राम साढ़े ग्यारह साल तक रहे. इसके बाद वे सतना, पन्ना, शहडोल, जबलपुर, विदिशा के वन क्षेत्रों से होते हुए वह दंडकारण्य चले गए.

सतना: सतना में अत्रि ऋषि का आश्रम है. यहां 'रामवन' नामक स्थान पर श्रीराम रुके थे. यहीं अत्रि ऋषि की पत्नी अनुसूइया ने सीता जी को दिव्य वस्त्र प्रदान किए थे.

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शहडोल (अमरकंटक): जबलपुर, शहडोल होते हुए राम अमरकंटक गए. यहां पर सीता कुंड भी हैं.

छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पथ
कोरिया: उत्तर क्षेत्र से श्रीराम का प्रथम आगमन छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के सीतामढ़ी हरचौका में हुआ था.

छत्तीसगढ़ में रायपुर से 27 किलोमीटर दूर चंदखुरी के कौशल्या माता मंदिर के पास से भी राम वन गमन परिपथ विकसित होगा. यह दुनिया का एकमात्र कौशल्या माता मंदिर है. इसमें भगवान राम बाल रूप में मां की गोद में दिखाए गए हैं.

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