यहां जन्म लेते ही तय कर दी जाती है बच्चों की शादी, कभी रिश्ता तोड़ा तो मिलती है सजा
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यहां जन्म लेते ही तय कर दी जाती है बच्चों की शादी, कभी रिश्ता तोड़ा तो मिलती है सजा

श्योपुर जिले में बंजारा समाज के पांच गांव ऐसे हैं. जहां बच्चों के पैदा होने पर उसकी शादी तय कर दी जाती है. लेकिन अगर बालिग होने पर शादी नहीं की गई तो फिर जुर्माना भरना पड़ता है.

सांकेतिक तस्वीर

श्योपुरः मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में पांच गांव ऐसे हैं, जहां पैदा होते ही बच्चों की शादियां तय कर दी जाती है. जैसे ही बच्चे बालिग होते है तो उनका विवाह करवा दिया जाता है. लेकिन अगर बचपन में तय की गयी शादी बालिग होने पर टूट जाती है तो फिर शादी तोड़ने वाले परिवार को जुर्माना भरना पड़ता है. 

बंजारा समाज के लोगों के हैं यह गांव 
श्योपुर जिले में आने वाले इन गांव के नाम भीकापुरा, मल्होत्रा, सौभागपुरा, रामबाड़ी और हनुमानपुरा हैं. जिसमें बंजारा समाज के लोग रहते हैं. इन गांव के लोग अपने बच्चों के जन्म पर ही यह तय कर देते है कि उसकी शादी आगे चलकर किससे होगी. खास बात यह है कि अगर लड़का या लड़की के पक्ष में से कोई भी बालिग होने पर शादी तोड़ता है. तो उसे दूसरी पार्टी को 95 हजार रुपए का जुर्माना देना पड़ता है. अगर कही लड़का या लड़की किसी दूसरे के साथ भाग जाए तो जुर्माने की राशि ढाई लाख रुपए हो जाती है. 

पांच गांव के अंदर ही करनी पड़ती है शादी 
बंजारा समाज के इन पांचों गांव में नियम बना है कि इन गांवों के लड़का या लड़की का संबंध इन पांच गांव के अंदर ही होता है. अन्य किसी गांव में शादी नहीं हो सकती. अब तक यहां यही नियम चला आ रहा है. अगर कोई परिवार अपने लड़के या लड़की का संबंध इन पांच गांव से हटकर करना चाहता है तो इसके लिए पंचायत बैठती है. पंचायत में जो फैसला होता है वह सभी को सर्वमान्य होता है. 

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पहले बचपन में ही जाती थी शादी 
इन पांच गांव में पहले शादियां बचपन में ही हो जाती थी. हालांकि बदलते वक्त में यहां बालविवाह तो रुक गया. लेकिन बचपन में जिस लड़के या लड़की की शादी जिससे भी तय की जाती थी. उसकी शादी बालिग होने पर उसी से करवाई जाती है. यह नियम आज भी इन गांवों में चल रहा है. 

नियम बनाए रखने शुरु की दंड प्रथा 
पहले यहां लड़के या लड़की की शादी जिससे तय होती थी. उसी से की जाती थी. लेकिन बाद में लड़के और लड़कियों ने शादी से इंकार करना शुरु कर दिया. जिसके बाद पंचायत ने दंड प्रथा शुरु कर दी. अगर बंजारा समाज का लड़का या लड़की किसी और के साथ शादी करता है या भाग जाता है तो फिर उसे जुर्माना भरना पड़ता है. 

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जुर्माना नहीं भरने पर मिलती है सजा 
अगर कोई परिवार जुर्माना नहीं भरता है तो उसके लिए सजा का प्रावधान भी पंचायत ने बनाया है. अगर कोई लड़का या लड़की किसी और के साथ भागता है और उसका परिवार जुर्माना नहीं भरता तो फिर उसके घर को तोड़ दिया जाता है. या उसे समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता है. 

अब तक कई मामले आ चुके हैं सामने 
श्योपुर जिले के इन पांचों गांव में अब तक इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं. जहां बचपन की गयी शादी अगर बालिग होने पर टूट गयी तो उस परिवार को जुर्माना भरना पड़ा. हालांकि इस प्रथा पर बंजारा समाज के लोगों का तर्क है कि उनकी यह प्रथा उनके पूर्वजों के समय से चली आ रही है. जिसे वे अब तक बनाए हुए है. ताकि समाज में एकता बनी रहे. 

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