MP में जहां शाहजहां भी न बनवा पाए ताजमहल, उसी जगह शख्स ने पत्नी के लिए बना दिया सातवां अजूबा
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MP में जहां शाहजहां भी न बनवा पाए ताजमहल, उसी जगह शख्स ने पत्नी के लिए बना दिया सातवां अजूबा

मध्यप्रदेश के बुरहानपुर में रहने वाले शिक्षाविद आनंद प्रकाश चौकसे ने अपनी पत्नी को 'ताजमहल' जैसा घर बनाकर गिफ्ट कर दिया. 

ताज महल बुरहानपुर में

सुधीर दिक्षित/भोपाल: आमतौर पर लोग प्यार में बड़े-बड़े वादे करते हैं. यहां तक कि अपने पार्टनर को खुश करने के लिए चांद-तारे तक तोड़ लाने की भी बात करते हैं, कुछ आशिक तो जान देने को भी तैयार हो जाते  हैं. वहीं, कुछ लोग मोहब्बत की निशानी 'ताजमहल' भी गिफ्ट करते हैं. लेकिन एक शख्स ने अपनी पत्नी के लिए कुछ ऐसा किया जो पूरे देश में चर्चा का विषय बन चुका है. क्योंकि जो शाहजहां नहीं कर पाया वो इस शख्स ने अपनी पत्नी के लिए कर दिया है. दरअसल मध्यप्रदेश के बुरहानपुर में रहने वाले शिक्षाविद आनंद प्रकाश चौकसे ने अपनी पत्नी को 'ताजमहल' जैसा घर बनाकर गिफ्ट कर दिया. घर इतना खूबसूरत की आप भी देखकर कहेंगे कि वाह- मोहब्बत हो तो ऐसी....

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3 साल में बनकर तैयार हुआ
3 साल में बनकर तैयार हुए 4 बेडरूम वाले इस घर को आनंद प्रकाश चौकसे ने अपनी पत्नी मंजूषा को तोहफे में दिया है. इसमें एक बड़ा हॉल, 2 बेडरूम नीचे और 2 बेडरूम ऊपर हैं. इसके अलावा किचन, लाइब्रेरी और मेडिटेशन रूम भी है. 

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आगरा जाकर देखा असली ताजमहल
हालांकि ये महल बनाना इतना आसान नहीं था, क्योंकि इसमें कई दिक्कतें सामने आई. इस घर को बनाने के लिए पहले आनंद चौकसे अपनी पत्नी के साथ ताजमहल देखने आगरा पहुंचे फिर वहां जाकर उन्होंने इंजीनियरों बारीकी से ताजमहल का अध्यन किया. इसके बाद आनंद प्रकाश चौकसे ने ये घर बनाने की जिम्मेदारी कंसलटिंग इंजीनियर प्रवीण चौकसे को सौंपी.

बंगाल और इंदौर से आए कारीगर
इस घर का क्षेत्रफल 90X90 का है. बेसिक स्ट्रक्चर 60X60 का है. जबकि, गुंबद 29 फीट ऊंची है. घर की नक्काशी करने के लिए बंगाल और इंदौर के कारीगरों को बुलाया गया था. वहीं, घर की फ्लोरिंग राजस्थान के मकराना के कारीगरों ने की है. जबकि, फर्नीचर सूरत और मुंबई के कारीगरों ने तैयार किए हैं. आगरा के कारीगरों की भी मदद ली गई. ऐसे करते हुए ये पूरा महल तैयार हुआ.

बुरहानपुर में बनना था ताजमहल
बहुत कम लोगों की इस बात की जानकारी होगी कि आगरा का ताजमहल बुरहानपुर में बनने वाला था, लेकिन शहर की मिट्टी में दीमक नहीं होती तो ताजमहल आज आगरा की यमुना किनारे की बजाय बुरहानपुर में ताप्ती किनारे होता. ताप्ती किनारे की मिट्टी में दीमक के खतरे को भांपकर मुगल सम्राट शाहजहां ने यमुना का तट चुना था. दीमक के कारण यहां ताजमहल का आधार (नींव) बनना नामुमकिन था. आगरा में रेत-मिट्टी खोदकर शीशम और सागौन की लकडि़यों से बेस बनाकर भव्य ताजमहल की 110 पिलरों पर आधारशिला रखी थी. 

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बुरहानपुर का मान बढ़ाने बनाया
शिक्षाविद आनंद प्रकाश चौकसे  ने बताया कि हमारे स्कूल में देश-विदेश से बच्चे पढ़ने आते हैं, तो उनेक अभिभावक पूछते हैं कि बुरहानपुर क्यों फेमस है? तो मुझे लगा कि ऐसी कलाकृति बनाई जाए जिससे बुरहानपुर का महत्व लोगों की नजर में बढ़े तो हमने ताजमहल का एक तिहाई हिस्सा अपने घर के रूप में बनाया है.

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