Bhopal Gas Tragedy: भोपाल गैस त्रासदी पर कोर्ट में बड़ी सुनवाई हुई. इस मामले में 36 सालों बाद आरोपी पक्ष से प्रतिनिधि भोपाल कोर्ट में सुनवाई के दौरान मौजूद थे.
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Bhopal Gas Tragedy: भोपाल गैस त्रासदी आज भी राजधानी भोपाल के लोगों के लिए सबसे बड़ा जख्म बना हुआ है. इस घटना से प्रभावित लोग आज भी परेशान और उन्हें उनका पूरा हक और न्याय नहीं मिला है. भोपाल कोर्ट में मंगलवार को इस मुद्दे पर बड़ी सुनवाई हुई. जिसमें पहली बार आरोपी कंपनी डाउ केमिकल के प्रतिनिधि सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश हुए थे.
30 मिनट तक चली बहस
भोपाल गैस त्रासदी मामले को लेकर भोपाल कोर्ट में इस मामले में करीब 30 मिनट तक सुनवाई चली. डाउ केमिकल की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वकील रविंद्र श्रीवास्तव भोपाल जिला कोर्ट में पेश हुए. खास बात यह है कि 36 सालों बाद पहली बार विदेशी आरोपी के वकील गैस हादसे के मामले में कोर्ट में पेश हुए है.
सात पर दिया था समन
बता दें कि कोर्ट ने करीब सात बार समन भेजा था, जिसके बाद पहली बार समन तामिल हुआ है. कोर्ट में सुनवाई के दौरान डाउ केमिकल के वकीलों ने समय मांगा है, जिसमें उन्होंने तर्क दिया है कि इस बात की खोज बीन कर रहे हैं कि क्या भारत की अदालत के पास अमरीकी कंपनी डाू केमिकल को सुननी के लिए ज्यूरिडिक्शन है कि नहीं, जिसके लिए कंपनी की तरफ से पार्शियल अपीयरेंस दर्ज की गई है.
6 अक्टूबर को आएगा फैसला
भोपाल जिला अदालत ने डाउ केमिकल के कोर्ट में शामिल होने के मुद्दे पर फैसला 2 दिन के लिए रिजर्व रखा है, इसके अलावा कोर्ट इस मामले में 6 अक्टूबर को फैसला सुनाएगी, जबकि इस मामले में 25 नवंबर को अगली सुनवाई होगी. बता दें कि भोपाल गैस त्रासदी के मुद्दे में डाउ केमिकल कंपनी के खिलाफ अमेरिका की संसद में भी सांसदों ने कार्रवाई की मांग उठाई थी. जिसका असर अब दिखने लगा है.
अमेरिका में यूएस सांसद रशीदा तलबी के नेतृत्व में 12 सांसदों ने अमेरिका के न्याय विभाग को पत्र लिखकर डाउ केमिकल के खिलाफ आपराधिक समन जारी करने की मांग की थी. जिसके बाद से ही इस मामले का असर दिख रहा है.
बता दें कि भोपाल गैस त्रासदी पूरी दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी मानी जाती है, इसके बाद भी डाउ केमिकल कंपनी आरोपी होने के बाद उसके प्रतिनिधि भोपाल जिला अदालत में पेश नहीं हो रहे थे. जबकि कंपनी की यूनियन कार्बाइड में 100 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी, ऐसे में इस कंपनी को 1992 में ही भगोड़ा घोषित किया गया था.
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