Ratlam: स्कूल के बाथरूम में लगे CCTV,बच्चों ने की शिकायत,फिर भी नहीं हुई कार्रवाई, ये कारण आया सामने
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Ratlam: स्कूल के बाथरूम में लगे CCTV,बच्चों ने की शिकायत,फिर भी नहीं हुई कार्रवाई, ये कारण आया सामने

Ratlam News: रतलाम स्कूल के बाथरूम में लगे सीसीटीवी के बच्चों ने चाइल्ड लाइन से शिकायत कर खुलासा किया. अब मामला प्रशासन एवं बाल कल्याण समिति व बाल आयोग सदस्य के संज्ञान में आने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई.

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चंद्रशेखर सोलंकी/रतलाम: जिला का एक मामला सुर्खियों में आया है और यह अब मुद्दा भी बनने लगा है.इससे प्रशासन पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं. दरअसल रतलाम जिले के नामली में निजी स्कूल के बाथरूम में स्कूल प्रबन्धक ने सीसीटीवी कैमरे लगाए दिए थे. 15 अगस्त को इस मामले की शिकायत छात्रों ने चाइल्ड लाइन रतलाम को की थी.जिसका संज्ञान लेते हुए चाइल्ड लाइन पुलिस टीम के साथ स्कूल पहुंची थी. बता दें कि चाइल्ड लाइन ने स्कूल के बाथरूम में सीसीटीवी कैमरे पाए थे.

बच्चे बाथरूम की दीवारों पर गलत शब्द लिख देते थे
चाइल्ड लाइन ने तत्काल बाथरूम से सीसीटीवी कैमरे हटवाए और इसकी शिकायत बाल कल्याण समिति को की,लेकिन इसके बाद भी कोई कार्रवाई स्कूल प्रशासन के खिलाफ नहीं हुई. 30 अगस्त को बाल आयोग के सदस्य ब्रजेश चौहान भी रतलाम पहुंचे. उनके द्वारा स्कूल में सीसीटीवी मामले में स्कूल प्रबन्धन से चर्चा भी की गई, लेकिन बड़ी बात ये है कि बाल आयोग ने भी इस मामले में कार्रवाई से साफ इंकार करते हुए कहा कि स्कूल प्रबंधन का उद्देश्य गलत नहीं था. बच्चे बाथरूम की दीवारों पर कुछ गलत शब्द लिख देते थे, उन्हें इस बात से रोकने के लिए इस तरह सीसीटीवी लगाए थे. बाल आयोग के सदस्य ने कहा कि हालांकि सीसीटीवी नहीं लगाना चाहिए थे. यह गलत है इसके लिए हमने स्कूल प्रबंधन को ऐसी हरकत करने से मना कर दिया है, लेकिन बाल आयोग सदस्य ब्रजेश चौहान ने भी इसमें कार्रवाई के लिए साफ इंकार कर दिया.

उठ रहे हैं कई सवाल
अब सवाल यही उठता है कि स्कूल के बाथरूम में सीसीटीवी होना बच्चों की प्राइवेसी का हनन है और ऐसे में प्रशासन और अब बाल आयोग का भी इस मामले में कार्रवाई से पीछे हटना कई सवाल खड़े कर रहा है कि बच्चों के बाथरूम में सीसीटीवी को लेकर कार्रवाई करेगा कौन? बच्चे वैसे भी स्कूल में इसकी शिकायत नहीं कर सकते थे और अब प्रशासन और बालायोग के संज्ञान में आने के बाद भी कार्रवाई नहीं होने से बच्चों पर भी प्रशासन की क्या छवि बनगी कि आखिरकार उनकी सुनने वाला कौन है?

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