आतंक का अंतः चित्रकूट में STF ने डकैत गौरी यादव को किया ढेर, पुलिस ने रखा था लाखों का इनाम
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आतंक का अंतः चित्रकूट में STF ने डकैत गौरी यादव को किया ढेर, पुलिस ने रखा था लाखों का इनाम

यूपी एसटीएफ की टीम को गौरी यादव को मुटभेड़ में मार गिराया.

मारा गया डकैत गौरी यादव

सतनाः यूपी एसटीएफ ने बड़ी कार्रवाई करते हुए उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में आतंक का पर्याय बने 5 लाख 50 हजार के इनामी डकैत गौरी यादव को मुठभेड़ में ढेर कर दिया. यूपी एसटीएफ की जाबांज टीम ने चित्रकूट के बाहिलपुरवा थाना क्षेत्र के माधा के पास हुई मुठभेड़ में गौरी यादव को मार गिराया. मार गये डकैत के पास से पुलिस को हथियार भी बरामद हुए हैं, बता दें कि गौरी यादव लंबे समय से यूपी और एमपी के पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ था. 

एसटीएफ को मिली थी गौरी यादव की जानकारी 
बताया जा रहा है कि यूपी एसटीएफ की टीम को गौरी यादव और उसके गिरोह की जानकारी मिली थी. जहां सटीक सूचना पर पहुंची यूपी एसटीएफ की टीम को यूपी के चित्रकूट के बाहिलपुरवा थाना क्षेत्र के माधा के पास गौरी यादव के गिरोह को एसटीएफ की टीम ने घेर लिया. जहां दोनों तरफ से सैकड़ों राउंड से अधिक गोलियां चली और आखिर में डकैत गौरी यादव को एसटीएफ की टीम ने दुनिया से रुखसत कर दिया. मौके से 1 एके-47, एक क्लाशनिकोव सेमी ऑटोमैटिक राइफल, एक 12 बोर बंदूक और सैकड़ो कारतूस मिले है, जिन्हें जब्त कर लिया गया है. 

यूपी और एमपी पुलिस ने घोषित किया था इनाम 
बता दें कि गौरी यादव यूपी और एमपी पुलिस के लिए परेशानी का सबब बना हुआ था, दोनों राज्यों की पुलिस ने उस पर इनाम घोषित कर रखा था. उत्तर प्रदेश पुलिस ने जहां गौरी यादव पर 5 लाख रुपए की इनाम घोषित किया था. तो मध्य प्रदेश पुलिस ने भी उस पर 50 हजार रुपए का इनाम घोषित किया था. पांच लाख रुपए से भी ज्यादा का इनाम घोषित के बाद गौरी यादव चित्रकूट में ददुआ, ठोकिया, रागिया, बलखड़िया और बबुली कोल गिरोह गिरोह की श्रेणी में पहुंच गया था. 

कौन था गौरी यादव 
गौरी यादव उत्तर प्रदेश के बहिलपुरवा थाना क्षेत्र के बेलहरी का रहने वाला है, वह करीब 20 साल पहले अपराध की दुनिया में आया था, गौरी यादव तब चर्चा में आया था, जब उसने साल 2013 में दिल्ली पुलिस के अफसर की हत्या कर दी थी. साल 2005 में गौरी ने अपनी अलग गैंग बना ली थी, 2008 में गौरी यादव को एसटीएफ ने पकड़ लिया था, लेकिन बाद में जेल से छूटने के बाद उसने फिर से अपराध शुरू कर दिया. बेलहरी गांव में भी गौरी यादव ने 2016 में  तीन ग्रामीणों को बिजली के खंभे में बांधकर गोली मार दी थी, जबकि 2017 में उसने कुलहुआ के जंगल में एक ही गांव के 3 लोगों को जिंदा जला दिया था. अपने इसी आतंक के दम पर उसने अपनी मां को गांव का प्रधान भी बनवा लिया था. धीरे-धीरे उसका आतंक बढ़ता जा रहा है. यूपी और एमपी की सीमा पर गौरी यादव लोगों को लिए मुसीबत बन चुका था. 

50 से ज्यादा मामले दर्ज  
डकैत गौरी यादव पर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में 50 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज थे. जिनमें हत्या, अपहरण, फिरौती मांगने और सरकारी काम में बाधा डालने मामले उस पर दर्ज थे. वह कई बड़ी घटनाओं को भी अजाम दे चुका था. एसटीएफ और पुलिस लंबे समय से उसकी तलाश में थी, एसटीएफ को जब गौरी यादव की सटीक जानकारी मिली तो पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी. जिसके बाद मुठभेड़ में गौरी यादव ढेर हो गया. 

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