Who is Dadua Dacoit Right Hand Radhe: दस्यु सम्राट ददुआ का दाहिना हाथ और गैंग का मास्टरमाइंड राधे उर्फ सूबेदार सिंह 14 साल बाद जेल से रिहा हो गया है. बता दें कि राधे ने 2008 में सरेंडर किया था. उसके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज थे.
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Dadua Dacoit Right Hand Radhe released from jail: तीन दशक तक जंगल में एकक्षत्र राज्य कायम कर खौफ की दुनिया में हनक रखने वाले दस्यु सम्राट ददुआ के दाहिना हाथ व गैंग के मास्टरमाइंड बागी राधे उर्फ सूबेदार सिंह की हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद चित्रकूट के रगौली जेल से रिहाई हो गई. राधे के जेल से रिहा होते ही सपा पूर्व विधायक वीर सिंह पटेल व उनके बेटे अरिमर्दन सिंह (सोनू) व सैकड़ों की संख्या में पहुंचे समर्थकों नेफूल मालाओं से स्वागत किया.
राधे पर दर्ज थे कई अपराधिक मामले
बता दें कि जेल से रिहा राधे उर्फ सूबेदार सिंह ने कहा कि अब समाज के बीच रहकर समाजसेवा करूंगा. गौरतलब है कि डकैत राधे पर एक सैकड़ा से अधिक अपराधिक मामले यूपी और एमपी में दर्ज थे. यूपी और एमपी के रीवा के तराई क्षेत्र में तीन दशक से अधिक समय तक दुर्दांत डकैत ददुआ ने आतंक की बादशाहत का अपना साम्राज्य बनाए रखा हुआ था. ददुआ के जीते जी कभी भी पुलिस उस तक नहीं पहुंच पाई थी. उसकी एक तस्वीर के अलावा कोई दूसरी फोटो तक नहीं रही. तमाम सफेदपोशों के संरक्षण में रहने वाले ददुआ सियासत में भी कभी प्रभाव था. रीवा के तराई क्षेत्र में में बैलेट पर बुलेट भारी थी जीत उसी के कदम चूमती थी ,जिसे ददुआ का साथ मिलता था.
बता दें कि डकैत ददुआ और राधे बंदूक की नोक पर अपने एक इशारे पर सफेदपोशों को सांसद, विधायक,जिला पंचायत,नगर परिषदों और ग्राम प्रधान बनाने का माद्दा रखते थे.बड़े-बड़े राजनीतिक नेता इनसे चुनाव में सलाह और सहयोग लेते थे अर्थात यू पी में चुनाव के समय कई राजनीतिक प्रत्याशियों की हार जीत का सेहरा इन्ही के दम पर बांधता था.
2008 में किया था सरेंडर
जब 2007 में ददुआ के मारे जाने के बाद गैंग की कमान राधे ऊर्फ सूबेदार के हाथ आ गई थी,लेकिन ददुआ के मारे जाने के बाद 2008 में राधे ने अपने चार साथियों के साथ सतना एमपी के बरौंधा थाने में सरेंडर कर दिया था.राधे ऊर्फ सूबेदार चित्रकूट जनपद के कर्वी कोतवाली अंतर्गत सपहा का मूल निवासी है. मीडिया से बात करते हुए डकैत राधे उर्फ सूबेदार ने बताया कि काफी लंबा समय हमने जेल में बिताया है.हमारे नाम से कई फर्जी चिट्ठियां लोगों तक डराने और धमकाने जैसे पहुंचती थीं.जो मेरे द्वारा नहीं भेजी जाती थीं. साथ ही उसने कहा कि अब मैं अपने गांव घर जाकर लोगों की सेवा करूंगा और अपने परिवार के साथ बचा हुआ जीवन यापन करूंगा.
रिपोर्ट : अजय मिश्रा (रीवा)