जब डांसर को मौत का इंजेक्शन देकर हमेशा के लिए सुलाने की तैयारी की जा रही थी तो दिलीप ने उसे आखिरी बार नाचने का इशारा किया और अपनी मौत से अंजान डांसर ने भी तुरंत नाचना शुरू कर दिया!
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इरशाद हिंदुस्तानी/बैतूलः वह शानदार डांसर था. उसे डांस करने का ऐसा जुनून था कि वह चलता भी था तो लगता था कि वह डांस कर रहा है लेकिन गुरुवार को उसे डॉक्टरों की एक पूरी टीम ने इंजेक्शन देकर हमेशा के लिए सुला दिया. यह घटना बैतूल जिले के चिचोली की है और हम जिस डांसर की बात कर रहे हैं, वह एक घोड़ा है. बता दें कि यह घोड़ा एक जानलेवा बीमारी ग्लैंडर्स से पीड़ित था, जिसके चलते कलेक्टर के आदेश पर उसे मर्सी किलिंग (दयामृत्यु) देकर जमीन की गोद में हमेशा के लिए दफना दिया गया.
पूरे इलाके में था Dancer का नाम
चिचोली के वार्ड 15 में रहने वाले दिलीप राठौर ने तीन महीने पहले ही ढाई लाख रुपए में इस घोड़े को खरीदा था. दिलीप राठौर के मुताबिक यह घोड़ा डांस करने में माहिर था. इसे इशारा करने की देर होती थी कि यह अपने अंदाज से किसी को भी दीवाना बनाने की ताकत रखता था. यही वजह है कि दिलीप ने घोड़े का नाम भी 'डांसर' ही रखा था. लेकिन कुछ समय बाद ही दिलीप को पता चला कि इस घोड़े को एक जानलेवा बीमारी ग्लैंडर्स है.
बीमारी का पता चलने पर दिलीप ने अपने घोड़े का काफी इलाज कराया. डेढ़ महीने पहले घोड़े का ब्लड सैंपल लेकर इसकी रिपोर्ट चिचोली पशु चिकित्सालय को भेजी गई. जहां से यह सैंपल हिसार स्थित लैब भेजा गया. जहां घोड़े के ग्लैंडर्स से पीड़ित होने की पुष्टि हुई. ग्लैडर्स एक जानलेवा बीमारी है, जिसके चलते आखिरकार जिला कलेक्टर ने 5 साल के इस घोड़े को दर्द रहित इंजेक्शन लगाकर मर्सी किलिंग करने का आदेश दे दिया.
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कलेक्टर के आदेश पर गुरुवार को घोड़े को पशु चिकित्सकों ने 4 इंजेक्शन लगाकर मौत की नींद सुला दिया. इस दौरान पशु चिकित्सा विभाग के डॉक्टरों की टीम और पुलिस प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद रहे. पुलिस प्रशासन एवं नगरीय प्रशासन की मौजूदगी में जमीन में 3 मीटर गहरा गड्ढा खोदकर घोड़े के शव को दफना दिया गया.
मौत से पहले भी नाचा डांसर
जब डांसर को मौत का इंजेक्शन देकर हमेशा के लिए सुलाने की तैयारी की जा रही थी तो इसके मालिक दिलीप ने उसे आखिरी बार नाचने का इशारा किया और अपनी मौत से अंजान डांसर ने भी तुरंत नाचना शुरू कर दिया. जिसे देखकर वहां मौजूद लोग भी भावुक हो गए.
क्या होती है ग्लैडर्स बीमारी
ग्लैडर्स एक जेनेटिक बीमारी है, जो ज्यादातर घोड़ों, गधों और खच्चरों में होती है. इस बीमारी से पीड़ित पशु को मारना ही पड़ता है क्योंकि इसका कोई इलाज नहीं है. यह बीमारी इतनी खतरनाक है कि यह पशुओं से मनुष्यों में भी फैल सकती है. इस बीमारी से ग्रस्त पशु को दर्दरहित इंजेक्शन दिए जाते हैं, जिसके बाद पशु गहरी नींद में चला जाता है और उसी दौरान कुछ ही देर में उसकी मौत हो जाती है.
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साल 1899 में ग्लैंडर्स के उन्मूलन के लिए ग्लैंडर्स एंड फारसी एक्ट एक्ट बना था. डॉक्टर केसी तंवर ने बताया कि ग्लैंडर्स एंड फारसी एक्ट के तहत जिन घोड़ों, खच्चरों और गधों को जहर का इंजेक्शन देकर मारा जाता है, उनके पालकों को सरकार की तरफ से निर्धारित मुआवजा दिया जाता है. घोड़ों के लिए 25 हजार और खच्चरों के लिए 16 हजार रुपए का मुआवजा मिलता है.
Mercy Killing के दौरान ये रहे मौजूद
मर्सी किलिंग प्रक्रिया के दौरान पूरी सतर्कता बरती गई. चार पशु चिकित्सा कर्मियों को बाकायदा मास्क,गलव्स , पीपीई किट पहनाई गई. आसपास दवा का छिड़काव करवाया गया. इसके बाद जेसीबी की मदद से 3 मीटर गहरा गड्ढा खोदा गया. जिसमें पाउडर का छिड़काव किया गया. इस दौरान डॉक्टर के के देशमुख, उपसंचालक पशु विभाग बैतूल डॉ विजय पाटिल, अतिरिक्त उपसंचालक डॉक्टर आरके बंसल, अतिरिक्त संचालक डॉक्टर चंचल मेश्राम, वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी बैतूल डॉ मनीषा सहष नानी, जिला रोग अनुसंधान बैतूल , डॉ सतीश नवड़े विकासखंड आठनेर एवं डॉ के सी तंवर चिचोली की संयुक्त टीम मर्सी किलिंग की प्रक्रिया के दौरान पूरे समय उपस्थित रही.