Independence Day: आज हमारा देश आजादी के 75 वर्ष पर आजादी का "अमृत महोत्सव" हर घर तिरंगा लगाकर मना रहे हैं. लेकिन मध्य प्रदेश के मंडला जिले के शहीद उदय जैन का नाम आज तक सरकारी दस्तावेद में नहीं है, जिसको लेकर समाजसेवी और शहीद के परिजनों का कहना है कि आजादी का अमृत महोत्सव तभी सफल होगा, जब शहीद उदयचंद को सरकारी दस्तावेजों में जगह दी जाएगी.
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विमलेश मिश्रा/मंडला: हम सभी आज भले ही आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर आजादी का "अमृत महोत्सव" हर घर तिरंगा लगाकर मना रहे हैं. लेकिन आजादी के लिए अपने सीने पर गोली खाने वाल मध्य प्रदेश के मंडला जिले के एकमात्र 20 वर्षीय युवा शहीद उदयचंद जैन को न तो आज तक शहादत मिली और न ही इतिहास में उचित स्थान. इसको लेकर शहीद के परिजन शासन से गुहार लगा रहे हैं, परिजनों का कहना है कि शहीद को सरकारी दस्तावेजों में जगह दी जाय, तभी अमृत महोत्सव सफल होगा.
परिजनों ने नाम दर्ज कराने के लिए की मांग
दरअसल मंडला जिले के युवा उदयचंद जैन को वैसे तो शहीद माना जाता है. समय-समय पर उनकी याद में कार्यक्रम किये जाते हैं. परंतु जिले के किसी भी सरकारी दस्तावेज में इनकी शहादत दर्ज नहीं है. तमाम सबूत और प्रमाण के अनुसार उदयचंद शहीद हुए थे. लेकिन सरकारी दस्तावेजों में उन्हें शहीद न माना जाना परिजनों के साथ ही जिले के लिए बड़ी हैरानी और दुःख का विषय है. इसको लेकर परिजनों, समाजसेवियों ने मांग की है कि युवा शहीद उदयचंद का नाम शासन के दस्तावेजों में दर्ज किया जाए.
मुक्तिधाम में बनी है समाधि
शहीद उदय चंद के संबंध में बताया जाता है कि देश के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान मण्डला जिले युवा छात्र उदयचंद जैन ने एक रैली के दौरान 15 अगस्त को अपने सीने पर गोली खाई थी, जिसके बाद 16 अगस्त 1942 को इनकी शहादत हुई थी. नगर के उदय चौक पर उदय को अंग्रेजो ने गोली मारी थी. तभी से इनके शहादत स्थल को उदय चौक बोला जाने लगा. आज यहां इनका स्मारक बना है, वहीं उपनगर महाराजपुर के मुक्तिधाम में इनकी समाधि बनी हुई है. इतिहासकार भी कहते हैं कि जिले के एकमात्र युवा शहीद को इतिहास में उचित स्थान नहीं मिला जबकि यह विडंबना है कि सरकारी दस्तावेजों में भी इनका नाम नहीं है.
उचित स्थान न मिलने से इतिहासकार चिंतित
मंडला जिले में जंहा इतिहासकार शहीद उदय चंद को इतिहास में उचित स्थान न दिए जाने से चिंतित है और इस गलती के सुधार की मांग कर रहे हैं, वंही परिजन प्रशासन से गुहार कर रहे हैं कि उदय के शहीद होने की कहानी सरकारी दस्तावेजो में दर्ज की जाय. समाजसेवी व परिजन कहते हैं कि उदय के शहीद होने की घटना दस्तावेजों में दर्ज हो जाय तभी उनके लिए सही मायनों में आजादी का अमृत महोत्सव सफल होगा.
जिला कलेक्टर ने उचित कार्यवाही का दिया भरोसा
परिजन व आम नागरिकों के इस विषय को लेकर जिला प्रशासन अब हरकत में आया है और शहीद उदय चंद की शहादत संबंधित सबूत और दस्तावेजों के साथ एक आवेदन मांगा हैं. जिला कलेक्टर हर्षिका सिंह ने आश्वस्त किया है कि उचित कार्यवाही की जाएगी.
जानिए कैसे हुए शहीद
शहीद उदयचंद 15 अगस्त 1942 को अग्रेजो के खिलाफ निकली जुलूस में शामिल थे. जुलूस के दौरान आग उगलते भाषण और उन्मादी नारों का दौर चालू हो गया, जिससे अंग्रेजों की परेशानी बढ़ती जा रही थी. भीड़ उत्तेजित हो चली थी. भीड़ द्वारा पत्थर भी फेंके जाने लगे थे. इसी दौरान शहीद उदयचंद जैन जो अभी तक कुएं के निकट से लोगों को समझा रहे थे. लेकिन अंग्रेजों को लगा कि यह उन्हें ललकार रहा है और अंग्रेज ने उन्हें धमकाते हुए कहा पीछे हट जाओ नहीं तो गोली मार दी जाएगी. उदयचंद जैन ने अपनी कमीज की बटन खोली और कहा यहां चलाओ, बस फिर क्या अंग्रेजों ने गोली चला दी और उदयचंद के पेट में गोली लग गई. उदय लड़खड़ाकर गिर गए. इधर भीड़ तीतर-बितर करने के जम कर लाठी चार्ज हुए. उदय को पास ही अस्पताल में लाया गया लेकिन दूसरे दिन 16 अगस्त को शहीद उदयचंद जैन ने अस्पताल में अंतिम सांस ली और इस दूनिया से चल बसे.
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