MP OBC Reservation Case: मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण पर लगी याचिकाओं पर जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) ने सुनवाई से इंकार कर दिया है. इसके पीछे का कारण ये है कि कुछ याचिकाओं में से कई सुप्रीम कोर्ट में भी लगाई गई हैं. पढ़िए कोर्ट रूम में वकीलों ने क्या दलील दी.
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MP OBC Reservation Case: जबलपुर। मध्य प्रदेश में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण को लेकर शुक्रवार को जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) में सुनवाई हुई. हालांकि, इस दौरान सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में ट्रांसफर याचिकाएं लंबित होने के कारण हाईकोर्ट में मामले में सुनवाई से इंकार कर दिया. हालांकि, इस दौरान वकीलों की ओर से कई दलीलें दी गईं. लेकिन, कोर्ट ने उन्हें खारिज कर दिया. अब हाईकोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 17 जुलाई की तारीख दी है.
मामले में राज्य सरकार सहित अन्य पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं. इसमें OBC आरक्षण से जुड़ी याचिकाएं SC ट्रांसफर करने की मांग की गई है. SC ने जुलाई के दूसरे हफ्ते में याचिकाओं पर सुनवाई की बात कही है. इस कारण अभी हाईकोर्ट में मामले को लेकर सुनवाई नहीं हो सकी.
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दलीलें पढ़ें-
ओबीसी आरक्षण का मुद्दा शुक्रवार को जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस एके सिंह की खंडपीठ में रखा गया. इस पर सुनवाई के लिए अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि हाईकोर्ट में ओबीसी आरक्षण से संबंधित कुल 69 याचिकाएं विचाराधीन हैं. इसमें से इनमें से 29 याचिकाएं समर्थन में तथा शेष 40 विरोध में हैं. वकीलों द्वारा ये भी कहा गया कि प्रकरणों की सुनवाई न करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का कोई अंतरिम आदेश नहीं है, इसलिए कारण हां सुनवाई की जा सकती है.
विपक्ष ने दिया ये तर्क
ओबीसी आरक्षण के पक्ष में दायर याचिकाओं को लेकर आए वकीलों ने कोर्ट को बताया कि न्यूट्रल बेंच के गठन हेतु ओबीसी, एससी, एसटी एकता मंच की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई है. इसकी फाइनल सुनवाई 13 जुलाई को होनी है. अगर यहां कोर्ट सुनवाई करती है तो नेचुरल जस्टिस का उल्लंघन होगा.
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कोर्ट ने क्या कहा?
दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर की सुनवाई के रिक्वेस्ट को रद्द कर दिया. कोर्ट ने कहा कि ट्रांसफर याचिकाओं के निर्णय का इंतजार करना जरूरी है. अब कोर्ट की तरफ से मामले में अगली सुनवाई के लिए 17 जुलाई की तरीख दे दी गई है.
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