ग्वालियर Gwalior में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया Jyotiraditya Scindia ने वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई Rani Laxmibai के समाधि स्थल पर पहुंचकर झंडा वंदन किया. इस दौरान सिंधिया ने कहा कि देश का विभाजन एक दर्दनाक कहानी है. उस वक्त की पीढ़ी किस संकट से गुजरी होगी इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता.
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ग्वालियर। भारत में आजादी के अमृत महोत्सव Azadi Ka Amrit Mahotsav के तहत देशभर में हर घर तिरंगा अभियान मनाया जा रहा है. ग्वालियर में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया Jyotiraditya Scindia वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई Rani Laxmibai की समाधि स्थल पहुंचे, जहां उन्होंने झंडा वंदन किया. यह पहला मौका है, जब सिंधिया परिवार का कोई मुखिया वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की समाधि स्थल पर झंडा वंदन करने के लिए पहुंचा. उसके बाद वह ग्वालियर Gwalior में निकाली गई तिरंगा यात्रा में भी शामिल हुए.
देश का विभाजन एक दर्दनाक कहानी
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि ''देश का विभाजन मानव पलायन की एक ऐसी दर्दनाक कहानी है जिसमें लाखों लोग अचानक ही अपनी माटी से दूर, बिल्कुल ही प्रतिकूल वातावरण में जीने को मजबूर हो गए थे. यह विभीषिका इस बात की भी कहानी है कि कैसे अचानक ही वर्षों पुरानी जीवन शैली एवं समरसता का युग नष्ट हो गया. सिंधिया ने कहा कि ये प्रदर्शनी सभी को देखनी चाहिए और महसूस करना चाहिए कि उस वक्त की पीढ़ी किस संकट से गुजरी.''
सिंधिया ने कहा ''पूर्वी पाकिस्तान से लोग बंगाल से आए, जबकि पश्चिमी पाकिस्तान में लोग लाहौर से कराची से पंजाब की तरफ आए. एक करोड़ से ज्यादा लोग शरणार्थी बनकर बसों से ट्रेनों से और पैदल चलकर हजारों किलोमीटर का सफर तय कर भारत आए. ये लोग केवल अपने हाथ पांव लेकर भारत आए और दोबारा अपना बसेरा बसाया. फिर से अपने को स्थापित किया. उन लोगों पर क्या गुजरा इसका हम एक प्रतिशत भी मूल्याकन नहीं कर सकते हैं.''
न कभी झुके हैं न कभी झुकेंगे
लेकिन इस आजाद माटी में हजारों वर्षों से आक्रमणकारी तत्व सदैव अपने दृष्टिकोण को लगाते थे. भारतवासी होने के नाते हमें गर्व है कि इस माटी में ऐसी मशाल है जो ना कभी झुकी है और बाहर के ताकतों की आंख में आंख मिलाकर उनका सामना करने की क्षमता रखती है.
तिरंगा अभियान में शामिल होना चाहिए
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि देश जब अपनी आजादी का 75वां वर्ष मना रहा है, ऐसे में हर देशवासी से अनुरोध है कि 'हर घर तिरंगा' अभियान में शामिल हों और 14-15 अगस्त तक अपने घर तिरंगा फहराकर, राष्ट्र गौरव के इस पल में शामिल हो जाएं.
दूसरी बार पहुंचे लक्ष्मीबाई की समाधि स्थल
यह दूसरा मौका रहा जब सिंधिया रानी लक्ष्मीबाई के समाधि स्थल पर पहुंचे. सिंधिया ने ट्वीट करते हुए लिखा ग्वालियर में परम आदरणीय लक्ष्मीबाई जी की छतरी पर 'हर घर तिरंगा' और 'विभाजन की विभीषिका' स्मृति दिवस कार्यक्रम में शामिल हुआ. विभाजन के दंश को समझने का ये अनुकूल अवसर था। आज़ादी की 75वे वर्ष में ग्वालियरवासियों का उत्साह, पूरे वातावरण में उमंग का संचार कर रहा है. इससे पहले वह इसी साल भी लक्ष्मी बाई की छतरी पर पहुंचे थे और नमन किया था.
सिंधिया परिवार से जुड़ा रहा है विवाद
ऐसी किवदंतियां हैं कि सिंधिया परिवार ने 1857 की क्रांति के दौरान रानी लक्ष्मीबाई का साथ नहीं दिया था, जिसके चलते उनकी शहादत हुई थी. कहा जाता है कि जब रानी ने उनसे मदद मांगी थी तो मदद नहीं मिली थी. जिससे सिंधिया परिवार पर तब से ही कई आरोप लगते हैं. कहा जाता था ग्वालियर में बने रानी लक्ष्मीबाई के समाधि स्थल पर सिंधिया परिवार का कोई सदस्य नहीं जाता था. लेकिन सिंधिया परिवार के वंशज और वर्तमान केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस नियम को बदल दिया था उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई के समाधि स्थल पर पहुंचकर नमन किया था. जबकि आज वह दूसरी बार वहां पहुंचे और रानी को नमन किया.